नई दिल्ली: एसी कोच के यात्रियों के कंबलों को महीने में दो बार धोया जाएगा क्योंकि रेलवे ने धोने योग्य कंबलों को पेश किया है. वहीं, मौजूदा समय में कंबलों को दो महीने में एक बार धोने का नियम है. कंबलों की धुलाई की संख्या में वृद्धि के साथ कंबल को मौजूदा चार वर्षों तक उपयोग करने का नियम खत्म कर अब दो साल कर दिया गया है. कंबलों की कीमत हालांकि लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है.


संशोधित निदेशरें के मुताबिक, एसी यात्रियों के नए कंबलों में ऊन और नायलॉन का मिश्रण होगा, हालांकि इनके मौजूदा कीमत से दोगुना होने की उम्मीद है. देश भर में लागू होने वाले इस योजना से जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "वर्तमान में उपयोग होने वाले भारी ऊनी कंबल की कीमत 400 रुपये है. कपड़े में बदलाव के बाद अब नई कीमत जल्द ही तय की जाएगी."


कंबल की कीमत चूंकि पिछले 10 वर्षों में संशोधित नहीं की गई है, इसलिए बदले गए नियम के बाद अब इसकी लागत अधिक होने की उम्मीद है. रेलवे को देश भर में अपने वातानुकूलित यात्रियों के लिए रोजाना 3.90 लाख कंबलों की जरूरत होती है. वातानुकूलित प्रथम श्रेणी में प्रत्येक उपयोग के बाद कंबल का कवर बदल दिया जाता है, लेकिन यह सुविधा वातानुकूलित द्वितीय और वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के यात्रियों के लिए नहीं है.