कोविशील्ड वैक्सीन से खून के थक्के जमने के मामले पर राष्ट्रीय AEFI कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट, जानिए रिसर्च में क्या निकला
राष्ट्रीय एडवर्स इफ़ेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने 498 गंभीर और गंभीर घटनाओं की गहन मामले की समीक्षा पूरी कर ली है, जिनमें से 26 मामलों को संभावित थ्रोम्बो एम्बोलिक यानी ब्लड वेसल में खून के थक्के जम जाना के मामले हैं.
नई दिल्ली: एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड से टीकाकरण के बाद "एम्बोलिक और थ्रोम्बोटिक घटनाओं" पर कुछ देशों ने अलर्ट जारी किया था, जिसके बाद भारत में एडवर्स इफ़ेक्ट का तत्काल विश्लेषण करने का निर्णय लिया गया. राष्ट्रीय एडवर्स इफ़ेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय को टीकाकरण के बाद ब्लीडिंग और क्लोटिंग पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया कि भारत में कोरोना टीकाकरण के बाद ब्लीडिंग और थक्के के मामले बहुत कम हैं. भारत में एईएफआई के आंकड़ों से पता चला है कि थ्रोम्बो एम्बोलिक घटनाओं का एक बहुत ही छोटा, लेकिन निश्चित जोखिम है.
राष्ट्रीय एडवर्स इफेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने 498 गंभीर और गंभीर घटनाओं की गहन मामले की समीक्षा पूरी कर ली है, जिनमें से 26 मामलों को संभावित थ्रोम्बो एम्बोलिक यानी ब्लड वेसल में खून के थक्के जम जाना के मामले हैं. कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद प्रति दस लाख मामलों में रिपोर्टिंग रेट सिर्फ 0.61 है.
भारत में एईएफआई के आंकड़ों से पता चला है कि थ्रोम्बोम्बोलिक घटनाओं का एक बहुत ही छोटा लेकिन निश्चित जोखिम है. भारत में इन घटनाओं की रिपोर्टिंग दर लगभग 0.61/मिलियन खुराक है, जबकि यूके के मेडिकल हेल्थ रेगुलेटरी के मुताबिक 4 केस प्रति दस लाख पर हैं, जबकि जर्मनी में प्रति मिलियन खुराक पर 10 हैं.
ये जानना महत्वपूर्ण है कि थ्रोम्बो एम्बोलिक घटनाएं सामान्य आबादी में होती रहती हैं. उपलब्ध जानकारी और साइंटिफिक लिटरेचर से पता चलता है कि यूरोपीय मूल के लोगों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में ये जोखिम लगभग 70 प्रतिशत कम है.
राष्ट्रीय एडवर्स इफ़ेक्ट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन ने बताया कि 03 अप्रैल तक, 75,435,381 वैक्सीन डोज दी गई थी, जिसमें कोविशील्ड की 68,650,819 और कोवैक्सिन की 6,784,562 डोज दी गई. इनमें से 65,944,106 पहली डोज और 9,491,275 दूसरी डोज थी. जब से COVID-19 टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था, देश के 753 जिलों में से 684 से 23 हजार से ज्यादा एडवर्स इफ़ेक्ट के मामले रिपोर्ट किए गए थे. इनमें से केवल 700 मामले यानी प्रति दस लाख डोज में 9.3 मामले गंभीर और गंभीर प्रकृति के बताए गए थे.
कोवैक्सीन वैक्सीन के प्रशासन के बाद कोई संभावित थ्रोम्बो एम्बोलिक घटनाओं की सूचना नहीं थी. कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड दुनिया भर में और भारत में संक्रमण को रोकने और कोविड 19 के कारण होने वाली मौतों को कम करने की जबरदस्त क्षमता रखता है. भारत में 27 अप्रैल 2021 तक कोविशील्ड वैक्सीन की 13.4 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय सभी कोरोना वायरस के टीकों की सुरक्षा पर लगातार नज़र बनाए हुए है और संदिग्ध एडवर्स इफ़ेक्ट की घटनाओं की रिपोर्टिंग को बढ़ावा दे रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय अलग से हेल्थकेयर वर्कर्स और वैक्सीन लेने वाले लोगों के लिए एडवाइजरी जारी कर रहा है, जिससे कि कोविड19 वैक्सीन और खास तौर से कोविशील्ड लगने के बाद 20 दिन के अंदर होने वाले संदिग्ध थ्रोम्बो एम्बोलिक के लक्षणों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके और ऐसा होने के स्थिति में इस स्वास्थ्य सुविधा को सूचित किया जा सके जहां पर टीका लगवाया गया था.
ये लक्षण इस प्रकार है:
# सांस फूलना
# सीने में दर्द
# हाथ में दर्द/हाथ दबाने पर दर्द या हाथ या पैरों की मांस पेशियों में सूजन
# इंजेक्शन वाली जगह के बाहर pinhead के आकार के लाल धब्बे या फिर त्वचा पर चोट
# उल्टी के साथ या बिना उल्टी के लगातार पेट में दर्द
# बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के उल्टी के साथ दौरे पड़ना
# उल्टी के साथ या उल्टी के बिना गम्भीर और लगातार सिर में दर्द होना (migrane या पुराने सिरदर्द की मेडिकल हिस्ट्री ना होने के केस में)
# हाथ पैर या शरीर के किसी विशेष हिस्से या चेहरे में कमजोरी या लकवा
# बिना किसी कारण उल्टी होना
# धुंधला दिखना, आंखों में दर्द या दोहरा दिखना
# मानसिक स्थिति में बदलाव या भ्रम होना
# या फिर ऐसा कोई लक्षण जोकी वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति के लिए चिंता का विषय हो