जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार 24 अक्टूबर को होंगे BDC चुनाव
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि 24 अक्टूबर को 310 विकास खंडों में चुनाव कराए जाएंगे और इसी दिन परिणामों की घोषणा की जाएगी.
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में जारी पाबंदियों और मुख्यधारा के नेताओं की गिरफ्तारी के बीच खंड विकास परिषदों (बीडीसी) का चुनाव कराए जाने का फैसला लिया गया है. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य के कुल 316 विकास खंडों में से 310 के लिए चुनाव कराए जाएंगे. दो पंचायतों में कोई पंच/सरपंच नहीं है, और चार आरक्षित पंचायतों में कोई महिला पंच/सरपंच नहीं है. चुनाव 24 अक्टूबर को कराए जाएंगे और उसी दिन मतों की गिनती होगी.
उन्होंने कहा कि इन चुनावों में 26,629 मतदाता होंगे, जिनमें 18,316 पुरुष हैं और 8,313 महिलाएं. 50 प्रतिशत से भी ज्यादा यानी कि 168 ब्लॉक कश्मीर घाटी के अंतर्गत आते हैं.
कुमार ने कहा कि राज्य प्रशासन ने निर्वाचन अधिकारियों को आश्वस्त किया है कि बीडीसी चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से कराए जाएंगे और इसके लिए प्रशासन सुरक्षा मुहैया कराएगा. कुछ उम्मीदवारों को व्यक्तिगत सुरक्षा मुहैया कराए जाने संबंधित एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि यह राज्य के गृह विभाग को निर्णय लेना है.
राज्यभर के पंचायत सदस्य बीडीसी चुनाव के लिए मतदान करेंगे, जिसके जरिए ब्लॉक स्तर पर परिषदों का गठन होगा. विकास संबंधित सभी फंड विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत राज्य में जमीनी विकास के लिए बीडीसी के जरिए खर्च किए जाएंगे.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2018 में जम्मू-कश्मीर के पंचायत चुनावों में 23,629 पंच और 3,652 सरपंच चुने गए थे. हालांकि, आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि घाटी में 61 फीसदी पंच वार्ड खाली हैं. 18,833 वार्डों में से केवल केवल 7,596 में पंच चुने गए थे. इसी तरह 45 फीसदी वार्ड में सरपंच का पद खाली है. घाटी के 2,375 वार्डों में से 1,558 में सरपंच चुने गए.
चुने गए पंच-सरपंचों में ज्यादातर निर्विरोध जीते. घाटी में चुने गए 7,596 पंचों में से, 3,500 से अधिक ने निर्विरोध जीते थे. इसी तरह 530 से अधिक सरपंच निर्विरोध चुने गए थे. इन चुनावों का फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने विरोध किया था. तब इन नेताओं ने कहा था कि पहले केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 पर स्थिति साफ करे.
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बता दें कि इसी साल पांच अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था. इस फैसले के बाद कानून-व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया. साथ ही फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे मुख्यधारा के नेताओं को गिरफ्तार किया गया.
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