पाकिस्तान जाधव को न छोड़ने की तरकीब जरूर खोजेगा. पूर्व में हमारे किसी भी कैदी को सकुशल नहीं छोड़ा. सबरजीत सिंह को छोड़ने का जब अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तो उसे जेल में मरवा दिया गया. इसके बाद एक और भारतीय कैदी किरपाल सिंह को भी मरवा दिया.


किरपाल पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम विस्फोटों का आरोप था. लेकिन लाहौर हाई कोर्ट ने किरपाल को बम विस्फोटों के आरोप से बरी कर दिया था. उसकी रिहाई होनी थी, लेकिन इसी बीच उसकी जेल में संदिग्ध हालत में मौत हो जाती है.


जाधव को लेकर इसी तरह की चिंता सताने लगी है. पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर अब अंतिम फैसला तीन महीने बाद यानी अगस्त के आखिर में आएगा. लेकिन, इंटरनेशनल कोर्ट में पाकिस्तान की जिस तरह से पूरे संसार में थू-थू हुई है, उसे देखते हुए जाधव पर खतरा मंडराने लगा है.


पाकिस्तान अपनी खुन्नस निकालने के लिए कुलभूषण जाधव पर भी सरबजीत सिंह की तरह जेल में हमला करवाकर उसे मार सकता है, क्योंकि इस तरह के कृत्य करने में पाकिस्तान माहिर है. सरबजीत के साथ उन्होंने जो किया उसे पूरे संसार ने देखा.


साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों के बाद बेकसूर सरबजीत सिंह को आतंकवाद और जासूसी के इल्जाम में सजा-ए-मौत सुनाई गई थी. मामले ने खुब तूल पकड़ा था. अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव में एक बार तो फांसी पर रोक भी लगा थी. तब पाकिस्तान को लगा कि कहीं ऐसा न हो कि सरबजीत को जिंदा छोड़ना पड़े. लेकिन, पाकिस्तान ऐसा कभी नहीं चाहता था. तभी उसने सरबजीत सिंह पर सजा से पहले ही अप्रैल, 2013 में कुछ कैदियों द्वारा हमला करा दिया और करीब पांच दिन बाद उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया.


पूर्ववर्ती कारनामों को देखते हुए प्रतीत हो रहा है कि कहीं जेल में ही जाधव पर हमाला न करा दिया जाए और इस घटना को भी सरबजीत की तरह बता दिया जाए. पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर अभी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का फाइनल वर्डिक्ट नहीं आया है.


अगस्त में जाधव पर अंतिम फैसला आ सकता है, ऐसे में तीन माह के लंबे समय में कुछ भी हो सकता है. ऐसे हालात में भारत को अपने पक्ष में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के माध्यम से जाधव की वहां सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करनी चाहिए. जाधव को जेल में अगल बैरक में रखना चाहिए, उसकी सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मियों द्वारा निगरानी रखनी चाहिए.


पाकिस्तान इस समय पूरी तरह से बौखलाया हुआ है, चारों ओर उसकी किरकिरी हो रही है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उसे मुंह की खानी पड़ी है. पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हो रही है.


देश के वरिष्ठतम वकीलों में से एक हरीश साल्वे ने जिस तरकीब और चतुराई के साथ जाधव की फांसी को लेकर तर्क रखा, उसे सुनकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. इस मौके पर पाकिस्तान की ओर वहां के नामी वकीलों की फौज भी मौजूद थी, उन्होंने भी दलीलें दी, पर सब बेअसर साबित हुई.


फैसला भारत के पक्ष में सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान में उन सभी वकीलों के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं. खबरियां चैनलों पर डिबेट हो रही है, जिसमें नवाज शरीफ सरकार की जमकर आलोचनाएं हो रही हैं. वकीलों पर बिकने के आरोप लगाए जा रहे हैं.


कुछ भी हो, भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ भारत सरकार की याचिका पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इसे बड़ी जीत कही जाएगी. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाए जाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया है.


इस मामले के बीच एक मानवीय खबर छन कर बाहर आई है कि जाधव के केस के लिए वकील हरीश साल्वे ने सिर्फ एक रुपया लिया है. जबकि पाकिस्तान के वकीलों ने सात करोड़ लिए हैं. वकील हरीश साल्वे पहले भी कई ऐसे मामलों में विख्यात रहे हैं. कई बड़े केस मुफ्त में लड़े हैं.


हरीश साल्वे की छवि एक बेहद आला दिमाग और निहायत मेहनती वकील की रही है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जैसे ही फैसला सुनाया गया, उसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके देश को जानकारी दी कि हरीश साल्वे ने कुलभूषण जाधव का केस लड़ने की फीस महज एक रुपये ली है यानी फ्री में लड़ा है.


केंद्र सरकार ने जाधव का केस साल्वे को सोच समझकर दिया था. सरकार को पता था कि साल्वे से अच्छा पक्ष अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कोई दूसरा नहीं रख सकता. लेकिन इस चमत्कार के बाद आज उनकी काबिलियत का लोहा हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया मान गई है. साल्वे को पूरा भरोसा है कि जाधव को वह सकुशल आजाद कराने में सफल होंगे. खैर, उम्मीद की किरण तो फिलहाल जगा दी है.


कायदे और सच्चाई की बात करें तो पाकिस्तान के रग-रग में खोट है. जाधव को मारने के लिए वह कुछ भी कर सकता है. कोई नए तरीके इजाद करेगा. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के बाद सवाल उठता है कि आखिर अब पाकिस्तान के पास क्या चारा बचेगा. क्या वह जाधव को फिर से फांसी दे सकता है?


हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बाद पाकिस्तान ऐसा करने से बचेगा. मुसीबत मोल नहीं लेगा. अगर ऐसा करता है तो चारों ओर से घिर सकता है. उसका हुक्का-पानी बंद हो सकता है, क्योंकि वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का भी सदस्य देश है, इसलिए वह कानूनी तौर पर ऐसी हिमाकत करेगा, इसकी गुंजाइश कम ही दिखती है.


पाकिस्तान में इस समय 12 लाख के करीब हिंदू रहते हैं, वे सभी बाहर रहकर भी जेल जैसा माहौल महसूस करते हैं. इसलिए इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जाधव पर भी पाकिस्तान की जेल में बंद रहे सरबजीत की तरह हमला हो जाए.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)