मुम्बई: देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में एक और आफ़त सिर पर मंडरा रही हैं. 2 करोड़ की आबादी वाले शहर में सिर्फ पांच से छह दिन तक का ब्लड स्टॉक बचा है. कोरोना संकट काल के दौरान मुम्बई के ब्लड बैंक और अस्पतालों में खून की भारी कमी है. यह कमी लगभग सभी ब्लड ग्रुप में सामने आ रही है.


मुम्बई में सायन अस्पताल के ब्लड बैंक के डायरेक्टर डॉ जयवंत गाडे ने बताया कि उनके ब्लड बैंक में ब्लड बैग ना के बराबर हैं. पिछले 15-20 दिन से यहां एक भी व्यक्ती रक्ततदान करने नहीं आया. ब्लड स्टोर करने वाले फ्रिजर खाली पड़े हैं. सिर्फ चंद युनिट ब्लड का बफर स्टॉक है. कोरोना काल के पहले यहां आम तौर पर किसी भी दिन कम से कम 100 युनिट ब्लड हर रोज होता था लेकिन अब एक भी युनिट ब्लड नही है. प्लाज्मा स्टॉक भी घट गया है.


सिर्फ मुम्बई में कुल 58 ब्लड बैंक्स हैं. कोरोना काल के पहले हर महीने 2500 ब्लड डोनेशन कैम्प लगते थे लेकिन फिलहाल 1200 ब्लड कैम्प मुश्किल से लग रहे हैं. पूरे राज्य में कोरोना काल के शुरुवात से लेकर अगस्त तक ब्लड यूनिट जमा किये गए जो जरूरत से काफी कम है. महाराष्ट्र स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसील (SBTC) द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक कोरोना काल के शुरुआत से अगस्त 2020 तक ब्लड यूनिट कलेक्शन में लगातार कमी आ रही है. आकड़ों के मुताबिक मार्च 2020 में 110437 यूनिट, अप्रैल 53630 यूनिट, मई 91137 यूनिट, जून 99658 यूनिट, जुलाई 60750 यूनिट, अगस्त 62001 यूनिट जमा हुआ था.


मुंबई के जे जे अस्पताल के ब्लड ट्रांसफ्यूजन ऑफिसर डॉक्टर उमैर पटेल के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के खतरे के मद्देनजर लोग रक्ततदान करने से बच रहें हैं और ब्लड डोनेशन कैम्प भी बहुत कम हो रहें हैं. सिर्फ जेजे हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में 3200 यूनिट ब्लड जमा होते थे जो इस साल अब तक सिर्फ 14800 यूनिट हुए हैं. लगभग यही हालत मुंबई के सभी 58 ब्लड बैंक की है.


नवरात्री के दौरान पहले ब्लड डोनेशन के कई कैम्प होते थे लेकिन अब इन कैम्पस की संख्या घट गई हैं. सरकार ने संबंधित विभागों को बडे पैमाने ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित करने के निर्देश दिए है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लोगों से भी रक्तदान करने की अपील की है. लेकिन जब तक आम लोगों में ब्लड डोनेशन को लेकर जो डर है वो समाप्त नही होता तब तक मुम्बई के ब्लड बैंकों की हालत ठीक नही होगी.