नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन लगने के बाद प्रतिकूल प्रभावों की जांच करने वाली एक सरकारी समिति ने पाया है कि भारत में कोविशील्ड टीका लगाये जाने के बाद रक्तस्राव (ब्लीडिंग) और खून के थक्के जमने के 26 संभावित प्रतिकूल प्रभाव के मामले सामने आये हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि देश में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के टीकों के साथ टीकाकरण अभियान के शुरू होने के बाद से 23,000 से अधिक प्रतिकूल प्रभाव के मामलों की सूचना मिली है और इनमें से 700 मामले गंभीर बताए गए हैं.
नेशनल एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी (एईएफआई) ने 498 गंभीर और अति गंभीर मामलों की गहन समीक्षा की है, जिनमें से 26 मामलों में कोविशील्ड टीका लगाये जाने के बाद संभावित थ्रोम्बोएम्बोलिक (रक्त वाहिका में एक थक्का जमना) बताया गया है और ऐसे मामले प्रति 10 लाख खुराक पर 0.61 मामले हैं. मंत्रालय ने कहा, ‘‘कोवैक्सीन टीका लगाये जाने के बाद कोई संभावित थ्रोम्बोएम्बोलिक मामले की सूचना नहीं है.’’
मंत्रालय ने कहा कि चूंकि कुछ देशों में टीकाकरण के बाद विशेष रूप से एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड टीका (कोविशील्ड) के साथ ‘‘एम्बोलिक और थ्रोम्बोएम्बोलिक मामलों’’ को लेकर अलर्ट जारी किए गए थे, इसलिए वैश्विक चिंताओं के आलोक में भारत में प्रतिकूल प्रभाव (एई) के मामलों का तत्काल गहन विश्लेषण करने का 11 मार्च को निर्णय लिया गया था.
राष्ट्रीय एईएफआई समिति ने उल्लेख किया कि 3 अप्रैल तक टीके की 75,435,381 खुराक दी गई (कोविशील्ड -68,650,819 और कोवैक्सीन- 6,784,562). बयान में कहा गया है, ‘‘इनमें से, 65,944,106 पहली खुराक और 9,491,275 दूसरी खुराक थी. कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से देश के 753 जिलों में से 684 से कोविन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 23,000 से अधिक प्रतिकूल प्रभाव के मामलों की सूचना मिली.
बयान में कहा गया है, ‘‘इनमें से केवल 700 मामले (प्रति 10 लाख खुराक पर 9.3 मामले) गंभीर और अति गंभीर प्रकृति के थे.’’ इसके साथ ही कहा गया है, ‘‘भारत में एईएफआई के आंकड़ों से पता चला है कि थ्रोम्बोएम्बोलिक मामलों का एक बहुत ही छोटा लेकिन निश्चित जोखिम है. भारत में इन घटनाओं की सूचना दर प्रति 10 लाख खुराक पर लगभग 0.61 है, जो ब्रिटेन के नियामक मेडिकल एंड हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी (एमएचआरए) द्वारा रिपोर्ट किए गए प्रति 10 खुराक पर 4 मामलों से बहुत कम है. जर्मनी ने प्रति 10 लाख खुराक पर 10 मामलों की सूचना दी है.’’
मंत्रालय ने स्वास्थ्य कर्मियों और टीका लेने वालों को अलग से सलाह जारी की ताकि लोगों को कोविड-19 टीका (विशेष रूप से कोविशील्ड) लगवाने के 20 दिनों के भीतर होने वाले संदिग्ध थ्रोम्बोएम्बोलिक लक्षणों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और वे उस स्वास्थ्य इकाई को सूचित कर सकें जहां टीका लगाया गया था.
सूचीबद्ध लक्षणों में सांस फूलना, सीने में दर्द, अंगों में दर्द / अंगों को दबाने पर दर्द या अंगों (बांह या पैर) में सूजन, इंजेक्शन स्थल से परे किसी क्षेत्र में त्वचा पर लाल धब्बे, पेट में लगातार दर्द, उल्टी या बिना उल्टी के, लगातार सिरदर्द शामिल है. मंत्रालय ने कहा कि कोविशील्ड में दुनिया भर में और भारत में कोविड-19 के कारण संक्रमण को रोकने और मौतों को कम करने की जबरदस्त क्षमता है. भारत में 27 अप्रैल तक कोविशील्ड टीके की 13.4 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है. मंत्रालय सभी कोविड-19 टीकों की सुरक्षा की लगातार निगरानी कर रहा है और संदिग्ध प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्टिंग को बढ़ावा दे रहा है.