नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में इसी साल फरवरी में हुए दंगों को लेकर एक किताब लिखी गई है. ये किताब तीन महिला लेखकों ने अपनी रिसर्च के आधार पर लिखी है. इस किताब की प्रकाशक ‘ब्लूम्सबरी इंडिया’ ने छापने के बाद 100 कॉपी लेखकों को भेज दी, लेकिन बाज़ार में आने से पहले ही किताब को ब्लूम्सबरी ने वापस ले लिया.


बुक लॉन्च में कपिल मिश्रा को स्पेशल गेस्ट बनाया गया


शनिवार को किताब की तीनों लेखकों ने मिल कर व्यक्तिगत स्तर पर दिल्ली में एक बुक लॉन्च कार्यक्रम रखा था, जिसमें बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को स्पेशल गेस्ट बनाया गया. इस कार्यक्रम के तुरंत बाद ब्लूम्सबरी के इंडिया ऑफ़िस ने फ़ोन कर इन्हें जानकारी दी कि वो किताब को वापस ले रहे हैं.


लेखिकाओं का क्या कहना है?


किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने कहा है, ‘’जैसे ही सोशल मीडिया पर इस किताब को लेकर चर्चा हुई, कुछ तरह के लोग ‘ब्लूम्सबरी यूके’ से इस किताब को वापस लेने की मांग करने लगे.’’ दूसरी लेखिका प्रेरणा मल्होत्रा का कहना है, ‘’एक-एक लाईन का जो हमारा कंटेंट है, वो ‘ब्लूम्सबरी इंडिया’ ने ही मंजूर किया है. तो कंटेंट का तो मामला था ही नहीं. वहीं, तीसरी लेखिका सोनाली चितकर ने कहा, ‘’कपिल मिश्रा को बुलाया गया, इसलिए आईडियोलॉजिकल हो गया. लोग कपिल मिश्रा को दंगों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.’’


कपिल मिश्रा पर दिल्ली दंगों को भड़काने के आरोप निराधार- किताब


किताब के निष्कर्ष के रूप में तीनों लेखिकों ने ये माना है कि दिल्ली दंगे अचानक शुरू नहीं हुए बल्कि दंगों की प्लानिंग की गई थी. इस दंगे में कुछ मुस्लिम और मुस्लिम परस्त अर्बन नक्सल लोगों ने मिल कर साजिश रची और कपिल मिश्रा पर दिल्ली दंगों को भड़काने के आरोप निराधार थे. किताब को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा बात करने से बचते रहे.


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