मुंबई: मुंबई में बीएमसी के चुनाव से ठीक पहले बीजेपी और शिवसेना के बीच वैसी ही खटास पैदा हो गई है जैसी विधानसभा चुनाव से पहले हुई थी. दो दशक से बीएमसी की सत्ता चला रहे दोनों दलों में सीटों के बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है और नौबत दोस्ती टूटने की भी आ सकती है.
क्या टूट जाएगी शिवसेना-बीजेपी की दोस्ती
जो बोलतो, ते करुन दाखवतो यानी ‘’जो बोलते हैं वो करके दिखाते हैं.’’ शिवसेना का ये नारा बीजेपी को उतनी सीटें ही देने पर लागू हो गया जितनी बोली हैं तो फिर दोस्ती तो गई पानी में. ये हाल तब है जब बृहन्मुंबई नगरपालिका में 22 साल से दोनों साथ-साथ राज कर रहे हैं और प्रदेश की सत्ता में भी साझेदार हैं.
शिवसेना ने तो अब बीएमसी चुनाव के लिए अपना अलग घोषणापत्र भी जारी कर दिया है.
बता दें कि बीएमसी में कुल 227 सीटें हैं. बीजेपी 117 सीटें चाहती है यानी 50-50 की भागीदारी, लेकिन शिवसेना बीजेपी को सिर्फ 60 सीटें ही देना चाहती है. दरअसल, इस चुनाव को ही तय करना है कि दोनों में मुंबई में नंबर वन है कौन ?
विधानसभा चुनाव के बाद बिगड़ा गणित
मुंबई में कुल 36 विधानसभा की सीटे हैं. जिसमें से बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की वही, शिवसेना को 14 सीटों पर जीत मिली. लेकिन, बीएमसी में शिवसेना के पास 71 सीटें हैं. जबकि बीजेपी के पास महज 31 सीट. महापौर शिवसेना का है तो उपमहापौर बीजेपी का.