मुंबई: आज फैसला होगा कि मुंबई किसकी होगी. थोड़ी देर में चुनाव नतीजे आने वाले हैं. शिवसेना और बीजेपी ने ये चुनाव अलग-अलग लड़ा है. ऐसे में दोनों पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं.
शिवसेना-बीजेपी ने किया जीत का दावा
227 सदस्यीय बीएमसी चुनाव के लिए मंगलवार को मतदान हुआ था. मुंबई के अलावा नौ अन्य महानगरपालिकाओं में भी चुनाव हुए थे. शिवसेना के सूत्रों ने बताया कि पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण में उसे 202 में से 110 सीटें मिलती दिखायी दे रही हैं.
दूसरी ओर, बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी अकेले अपने दम पर 108 सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त है.निकाय चुनावों में जीत के लिए 114 सीटों की दरकार है.
क्यों अहम है बीएमसी चुनाव
- मुंबई की बीएमसी देश की सबसे अमीर यानी सबसे ज्यादा बजट वाली महानगरपालिका है, इसका बजट 37 हजार करोड़ रुपये है.
- 20 साल से बीएमसी पर शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का कब्जा था.
- इस बार गठबंधन टूट गया है और शिवसेना-बीजेपी अलग अलग चुनाव लड़ रही है.
- बीएमसी चुनाव के लिए 91 लाख 80 हजार वोटर हैं. इस बार 55 फीसद वोटिंग हुई है यानी की करीब 50 लाख 50 हजार लोगों ने वोट किया है.
- मुंबई में सड़क, पानी और स्कूल बीएमसी के अंदर ही आते हैं.
शिवसेना के लिए BMC चुनाव अहम क्यों ?
शिवसेना के लिए महाराष्ट्र में अस्तित्व की लड़ाई है. इस चुनाव में शिवसेना के हारने का मतलब है महाराष्ट्र की राजनीति में उसकी सबसे बड़ी हार. हारे तो महाराष्ट्र में शिवसेना का दबदबा कम होगा. वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी से खुद को बड़ा दिखाने का आखिरी मौका है.
BJP के लिए BMC चुनाव अहम क्यों ?
नोटबंदी के बाद मुंबई के लोग पहली बार वोट करेंगे. जीते तो नोटबंदी के फैसले को समर्थन का संदेश जाएगा. जीत मिली तो शिवसेना पर राजनीतिक बढ़त भी मिलेगी और महाराष्ट्र की नंबर वन पार्टी का दावा सही होगा.
कांग्रेस के लिए BMC चुनाव अहम क्यों ?
कांग्रेस के लिए ये चुनाव अपनी नाक बचाने का मौका है. बढ़त मिली तो राज्य की राजनीति में दबदबा बढ़ेगा. जनता बताएगी कि वो नोटबंदी के विरोध में उसके साथ है या नहीं. कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी के लिए ये चुनाव जीतना बेहद जरूरी है.
MNS के लिए बीएमसी BMC अहम क्यों ?
राज ठाकरे के पास पार्टी का अस्तित्व बनाए रखने का इकलौता रास्ता है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लिए करो या मरो की स्थिति है. सीट बढ़ीं तो महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का कद बढ़ेगा और अगर हार मिली तो राज ठाकरे के राजनीतिक करियर पर सवाल उठने लगेंगे.