महाराष्ट्र:  बीएमसी के कंगना के ऑफिस को तोड़े जाने राज्य में बलाल मचा हुआ है. जिसके बाद अब बीएमसी ने हाई कोर्ट में मामले को लेकर दलील पेश की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कंगना के मामले में कोई कानून का उल्लंघन नहीं किया है. कंगना ने इललीगल कंस्ट्रक्शन के कानून का उल्लंघन किया है. ऐसे में उन्हें कोई कानूनी रियायत नहीं मिलनी चाहिये. इस पूरे एफिडेविट में एक भी कानूनी तर्क नहीं दिया गया है.


स्ट्रकचर को तोड़ने की क्या जल्दी थी उसका उल्लेख नहीं किया गया


यह पूरा एफिडेविट 2012 के बीएमसी के सर्कुलर पर बेस्ड है. एफिडेविट (exhibit A)  इसमें इंस्पेक्शन रिपोर्ट का जिक्र है. इंस्पेक्शन रिपोर्ट सादे कागज पर बनी हुई है. बीएमसी के मुताबिक जब इंस्पेक्शन किया गया तभी काम चल रहा था. लेकिन इंस्पेक्शन रिपोर्ट में किसी भी तरीके के काम करने का जिक्र नहीं किया गया है.


डेमोलिशन के लिये उपयोग किये जाने वाले मैनपॉवर मसीनरी का जिक्र नहीं किया गया है. डेमोलिश करने के बाद जो रिपोर्ट बनती है वो इस एफिडेविट में जोड़ी नही गई है. इसका मतलब है कि कितना फुट डेमोलिश किया गया है उसकी जानकारी नहीं देना चाहते.



बीएमसी का कहना है कि कंगना के आफिस को लेकर नोटिस देने के लिए गए थे, तब उनके आफिस ने नोटिस लेने से मना कर दिया था. लेकिन किस व्यक्ति ने मना किया इसका पता नहीं है. 9 तारीख को बताया गया आपका स्ट्रकचर इललीगल है, उसे तोड़ा जाएगा, यह सूचना 10 बजकर 35 मिनट पर दी गई और 10 बजकर 55 मिनट पर डेमोलिशन शुरू कर दिया गया था.


बीएमसी के मुताबिक कंगना ने कोई स्टैंड नहीं लिया कि काम नही चल रहा था. इस पूरे एफिडेविट में बीएमसी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कंगना पर गंभीर आरोप लगाए है.


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