मानसून में मुंबई को डूबने से बचाने को BMC की तैयारी, जापान के साथ मिलकर 'मीठी नदी' प्रोजेक्ट पर होगा ये काम
Mithi Nadi Project: मुंबई को बारिश के मौसम में डूबने से बचाने के लिए मुंबई महानगर पालिका जापान के साथ मिलकर अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट को अमल में लाने की योजना बना रही है.
Mumbai Mithi Nadi Project: हर साल मानसून में मुंबई पानी-पानी हो जाती है. मुंबई महानगर पालिका इस बार मुंबई को डूबने से बचाने के लिए जापान की तर्ज पर अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट को अपनाने पर विचार कर रही है. बीएमसी और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन मित्रा मिलकर इस प्रोजेक्ट को मुंबई में इस्तेमाल करने की कोशिश में हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत मीठी नदी के नीचे एक और नदी बनाई जाएगी जिससे मुंबई बारिश के समय में बाढ़ की चपेट में आने से बच सकेगी.
बाढ़ से बचने के लिए बीएमसी हर वर्ष नए उपाय लाती हैं जैसे की हाल ही मुंबई के कई इलाकों में अंडरवाटर स्टोरेज टैंक बनाए गए थे. लेकिन सबसे बड़ा खतरा मुंबई की मीठी नदी के ओवरफ्लो होने से बढ़ता हैं. जापान में अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट की मदद से बाढ़ की स्थिति फिर कभी नहीं बनी, इसीलिए अब बीएमसी और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन मित्रा ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को मुंबई में लाने का विचार किया है.
मीठी नदी मुंबई शहर से होकर बहने वाली 4 नदियों में से एक है. यह विहार झील और पवई झील से निकलती है और मुंबई के आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों से 18 किलोमीटर से थोड़ी कम दूरी तक बहने के बाद अरब सागर में जाकर मिल जाती है. मीठी नदी, भारत के सबसे पुराने नदी सिस्टम में से एक है. साल 2005 में जब मुंबई में बाढ़ आई थी तब मीठी नदी के ओवरफ्लो होने की वजह से मुंबई के कई इलाकों में जलभराव देखा गया था.
जापान के साथ मिलकर अंडरग्राउंड वाटर प्रोजेक्ट बनाने का प्लान
उस वक्त 900 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी जिस कारण से नदी के आसपास के इलाकों में सटे झुग्गी बस्तियां अधिकतर प्रभावित हुईं थीं. आने वाले समय में इस तरह की स्थिति मीठी नदी के ओवरफ्लो होने से आगे पैदा नहीं हो, इसको लेकर इस योजना को अमल में लाने का प्रयास किया जा रहा है. बीएमसी और मित्रा ने जापान की कंपनी के साथ मिलकर अंडरग्राउंड वाटर प्रोजेक्ट का प्लान बनाया है.
हर साल बारिश में पैदा होते हैं बाढ़ के हालात
मुंबई में जिस जापानी प्रोजेक्ट को अपनाने की योजना बनाई है, उसने ही टोक्यो को बाढ़ से बचाया था. टोक्यो के बाद भारत दूसरा देश होगा जिसका मुंबई में प्रयोग किया जाएगा. हर साल बारिश के मौसम में मुंबई में बाढ़ के हालात पैदा होते नजर आते हैं.
'स्टोरेज वाटर टैंक, स्मॉल टैंक्स बनाने के किए कई उपाय'
मुंबई महानगर पालिका के अतिरिक्त आयुक्त पी वेलारासू ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन यानी मित्रा जापान की कंपनी द जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के साथ मिलकर अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. मुंबई शहर में आमतौर पर बारिश के मौसम में जलभराव की स्थिति देखी जाती हैं. इससे निपटने को बीएमसी ने स्टोरेज वाटर टैंक और स्मॉल टैंक्स आदि बनाने के कई उपाय भी किए हैं.
टोक्यो में ईडो नदी पर लागू हुआ ये प्रोजेक्ट
इसके अलावा सड़क पर पानी जमा ना हो और पूरा पानी स्टॉर्म वाटर ड्रेन में जाना चाहिए. इसको लेकर इतने बड़े स्टॉर्म वाटर ड्रेन बनाना मुश्किल होता है. इस समस्या का समाधान जापान में निकाला गया. टोक्यो में ईडो नदी के बगल में उतनी ही बड़ी दूसरी नदी बना दी गई हैं. बारिश का पानी या तूफान आता है और वाटर लेवल बढ़ता है, तो उसका पानी साइड्स में बने 'ड्रा होल्स' से नीचे चला जाता है. ये पानी बड़े-बड़े चैनल्स में स्टोर होता है. इससे वहां कभी भी बारिश का पानी रास्ते पर नहीं बहता. ज्यादा पानी होने पर सीधे अंडरग्राउंड बनी नदी में चला जाता है.
'डिप्टी सीएम फडणवीस कर चुके है जापान में मीटिंग'
अतिरिक्त आयुक्त वेलारासू ने बताया कि यह नदी टनल की तरह कंक्रीट होती है. ऐसी ही नदी बनाने का करार जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी, यानी जायका के साथ किया है. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जापान में इस पर मीटिंग भी की है. जायका मुंबई के साथ ये प्रोजेक्ट तैयार करने को सहमत है. इसकी टेक्निकल फिजिबिलिटी चेक करने के लिए जापान से एक टीम मुंबई आई थी.
'प्रोजेक्ट में लग सकता है 4-5 साल का वक्त'
उन्होंने मुंबई के मीठी नदी को स्टडी किया और फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर अब भी स्टडी चल रही हैं. इस प्रोजेक्ट में करीब 4 से 5 साल से ज्यादा का वक्त लग सकता हैं. वहीं, इस प्रोजेक्ट पर कुल कितनी लागत आएगी, इसका आकलन करना अभी संभव नहीं है.
'करीब 10-11 किमी लंबी टनल बनाने की योजना'
अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट में जो टनल होगी वह 10 से 11 किलोमीटर लंबी होगी. इसको साल के 8-9 महीनों के लिए वाहनों की आवाजाही के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. बारिश के मौसम के दौरान इस टनल को बंद कर दिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से मुंबई में बाढ़ की संभावना काफी कम हो जाएगी.
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