नी दिल्लीः CBSE ने आज 12वीं के छात्रों को अंक देने का फार्मूला सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. इस फार्मूले के हिसाब से 3 वर्षों के औसत अंक के आधार पर 12वीं के परिणाम घोषित किए जाएंगे. CBSE ने कोर्ट को बताया कि 31 जुलाई तक रिजल्ट आ जाएगा.
इससे पहले 3 जून को CBSE ने सुप्रीम कोर्ट को आधिकारिक रूप से यह जानकारी दी गई दी थी कि कोरोना के मद्देनज़र इस साल 12वीं के परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया गया है. कोर्ट ने छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिए गए इस फैसले की सराहना की थी. कोर्ट ने उस दिन CBSE और ICSE को छात्रों को अंक देने का ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया तय करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया था. इसके बाद CBSE ने एक कमिटी का गठन किया था. उस कमिटी के निष्कर्ष आज कोर्ट में रखे गए.
3 साल के एवरेज पर अंक
केंद्र सरकार की तरफ से पेश एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जस्टिस ए एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच को बताया कि कमेटी ने इस बात को ध्यान में रखा कि छात्रों का सही मूल्यांकन हो सके. स्कूल किसी के साथ पक्षपात करके उसे अधिक अंक देने की कोशिश न कर सकें.
इसलिए, यह तय किया गया है कि छात्रों को 10वीं, 11वीं और 12वीं में मिले अंकों के औसत के आधार पर रिजल्ट दिया जाएगा. एटॉर्नी जनरल ने बताया कि 10वीं की परीक्षा के पांच मुख्य विषयों में सबसे अधिक अंक वाले 3 विषय, 11वीं की परीक्षा के सभी विषय और 12वीं में स्कूल की तरफ से किए गए आंतरिक मूल्यांकन के अंक को जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा. 10वीं के लिए 30%, 11वीं के लिए 30% और 12वीं के लिए 40% अंक दिए जाएंगे.
रिज़ल्ट कमिटी भी बनेगी
एटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि कोई स्कूल अपने छात्रों को अधिक अंक देकर उनका रिजल्ट बेहतर बनाने की स्कूल कोशिश न करे, इसकी निगरानी एक रिजल्ट कमेटी करेगी और मॉडरेशन कमेटी भी यह देखेगी कि छात्रों को सही तरीके से अंक दिए गए हैं. इस तरह की कमिटी में दूसरे स्कूलों के शिक्षक को भी रखा जाएगा ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके. इस सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद 31 जुलाई तक रिजल्ट घोषित कर दिए जाएंगे.
लिखित परीक्षा का भी मिलेगा मौका
वेणुगोपाल ने कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि जो छात्र रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे उन्हें स्थितियां सामान्य होने के बाद फिजिकल तरीके से परीक्षा देने का भी अवसर दिया जाए. अगर कोई छात्र अपने रिजल्ट को बेहतर करने के लिए परीक्षा देना चाहेगा तो वह ऐसा कर सकेगा. इस पर जजों ने कहा कि यह सुझाव सही है. लेकिन अभी जिस तरीके से रिजल्ट तैयार किए जा रहे हैं, उस प्रक्रिया में भी इस बात को शामिल किया जाना चाहिए कि रिज़ल्ट से शिकायत होने पर छात्र दोबारा मूल्यांकन की मांग कर सकें. केंद्र के वकील ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि इसकी भी व्यवस्था बनाई जाएगी.
ICSE की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील जे के दास ने कोर्ट को बताया कि उनके बोर्ड ने 6 साल के एस्ट के आधार पर रिजल्ट तैयार करने का फैसला लिया है. उनके रिज़ल्ट भी 31 जुलाई तक आ जाएंगे. जजों ने इसे नोट कर लिया.
फिजिकल परीक्षा की मांग खारिज
ज़्यादातर याचिकाकर्ता CBSE की तरफ से रखे फॉर्मूले से संतुष्ट नज़र आए. जजों ने भी कहा कि यह तरीका संतुलित लग रहा है. एक याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि जब CLAT और NEET जैसी परीक्षाएं फिजिकल तरीके से करवाई जा सकती हैं तो 12वीं की परीक्षा भी रद्द नहीं होनी चाहिए थी. इस पर जजों ने साफ कर दिया कि 12वीं की परीक्षा फिजिकल तरीके से करवाने पर कोई विचार नहीं किया जाएगा. जजों ने कहा कि NEET और CLAT देने वाले छात्रों की संख्या CBSE की 12वीं की परीक्षा देने वालों से बहुत कम है. 12वीं के रिजल्ट से असंतुष्ट छात्रों को बाद में लिखित परीक्षा देने का मौका भी मिलेगा.
7th Pay Commission: 60 से 180 दिन हुई रिटायर्ड केंद्रीय कर्मचारियों के TA क्लेम करने की समय सीमा