नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में इजरायली एंबेसी के बाहर हुआ बम धमाका भारत के लिए इजरायल और ईरान से संबंधों की परीक्षा की घड़ी है. दोनों ही भारत के करीबी मित्र देश हैं. वहीं भारत के लिए ये इसलिए भी मुश्किल घड़ी है क्योंकि इसी हफ्ते ईरान के रक्षा मंत्री का भारत दौरा हो सकता है. दरअसल, बेंगलुरु में बुधवार से एशिया का सबसे बड़ा एयरो और डिफेंस शो शुरू होने वाला है, जिसमें ईरान के रक्षा मंत्री शिरकत कर सकते हैं.


शुक्रवार को दिल्ली की एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित इजरायली दूतावास के बाहर बम धमाका हुआ. जानकारी के मुताबिक धमाके वाली जगह से पुलिस और जांच एजेंसियों को हाथ से लिखा एक पत्र मिला है, जिसमें दो ईरानियों की हत्या का बदला लेने की बात कही गई है. बता दें कि भले ही ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के करीबी देश हैं, लेकिन इन दोनों देशों की आपस में कट्टर दुश्मनी किसी से छिपी नहीं रही है.


करीब तीन महीने पहले ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की तेहरान के करीब ड्रोन-अटैक में हुई हत्या के लिए ईरान के राष्ट्रपति ने इजरायल को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया था और बदला लेने की बात भी कही थी. इससे पहले ईरान के बड़े कमांडर, सुलेमानी की भी ड्रोन-अटैक में हत्या कर दी गई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि जिन दो ईरानियों की हत्या का बदला लेने की बात पत्र में लिखी गई है, वे ये दोनों ही हैं. हालांकि, इसके बारे में पुख्ता तौर से कुछ नहीं कहा जा सकता है.


2012 में भी हुआ था हमला


वर्ष 2012 में राजधानी दिल्ली में इजरायल के राजनयिक की कार पर हुए हमले में भी ईरान से तार जुड़े पाए गए थे. उस वक्त बाइक सवार लोगों ने चलती कार पर मैगनेट-आईईडी लगाकर धमाका किया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने लोधी इलाके की शिया-बहुल बस्ती से एक पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था, जो ईरान की एक न्यूज एजेंसी के लिए काम करता था. साजिश के तार ईरान की सबसे बड़ी एजेंसी, ईरान रेवलुयशनरी गार्ड्स से जुड़ने की बात भी सामने आई थी. हालांकि, बाद में पत्रकार को कोर्ट से जमानत मिल गई थी. ऐसे में शुक्रवार के बम धमाके का शक ईरान पर ही जा रहा है. यही वजह है कि इजरायल की जांच एजेंसियां भी दिल्ली पुलिस की जांच में सहयोग कर सकती है.


भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी, रॉ के पूर्व अधिकारी, एन के सूद के मुताबिक, पश्चिम-एशिया और खाड़ी के देशों में ऐसे समीकरण बन रहे हैं जिससे ऐसा लगता है कि शुक्रवार को हुए बम धमाके के पीछे ईरान का हाथ हो सकता है. हालांकि, वे खुद मानते हैं कि साजिश का खुलासा पुख्ता जांच के बाद दिल्ली पुलिस या फिर एनआईए (आतंकी हमलों की जांच के लिए बनी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी) ही कर सकती है.


वहीं दिल्ली पुलिस इस बम धमाके को किसी शरारती तत्व की करतूत भी मानकर चल रही है. इसके पीछे की वजह है कि यह बेहद ही लो-इंटेनसिटी यानि कम तीव्रता का धमाका था और दूसरा ये कि जो भी साजिशकर्ता थे वे पेशेवर नहीं थे. यही वजह है कि हड़बड़ाहट में बम एंबेसी के बाहर के बजाए उसके पास वाली बिल्डिंग के बाहर फेंक दिया गया.


सूद ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि ईरान भी भले ही भारत का मित्र हो, लेकिन इजरायल से भारत की दोस्ती दुनियाभर की आंखों में खटकती है. भारत और इजरायल के सैन्य-संबंध हाल के दिनों में काफी मजबूत हुई हैं. फिर चाहे टोही विमान हो या फिर एमपी-5 राइफल्स, टेवोर गन हो या फिर बराक मिसाइल या सीमा-सुरक्षा... इजरायल लगातार भारत का सहयोग कर रहा है. हाल ही में इजरायल के यूएई और दूसरे खाड़ी देशों से दुश्मनी खत्म कर संबंध बनाए जाने में भारत की भी एक बड़ी भूमिका रही है.


बता दें कि बम धमाके से एक दिन पहले ही यानी गुरुवार को ही भारतीय सेना को इजरायल की 6000 नेगिव लाइट मशीन गन मिली थी. मार्च 2020 में भारत ने फास्ट-ट्रैक समझौते के तहत 16 हजार ऐसी एलएमजी का सौदा किया था. गुरुवार को उसकी पहली खेप भारतीय सेना को मिली है.


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