Bombay HC News: लिव-इन पार्टनर की हत्या कर बॉडी के टुकड़े करने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी. 27 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस आरोपी के खिलाफ आरोप तय नहीं कर सकी और पीड़ित के बॉडी पार्ट्स के डीएनए सैंपल इकट्ठा करने में असफल रही है. उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान डिकंपोज्ड बॉडी की पहचान होना जरूरी है.
जस्टिस अमित बोरकर आरोपी याचिकाकर्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज मौजूदा सबूत उसको हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है. वहीं, आरोपी के वकील का कहना है कि पंचनामा भी अस्वीकार्य है.
कोर्ट ने कहा, अभी तक आरोप तय नहीं हो सके
आरोपी हनुमंत शिंदे को 2021 में गिरफ्तार किया गया था. उसने 2022 में पुणे सत्र अदालत में याचिका दाखिल की थी, लेकिन 29 अप्रैल, 2023 को कोर्ट ने इसे एक जघन्य अपराध बताते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद शिंदे ने सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया. शिंदे के वकील सना रईस खान ने कोर्ट में कहा कि जिन बॉडी पार्ट्स की डीएनए रिपोर्ट पेश की गई है, उससे यह साबित नहीं होता कि ये बॉडी पार्ट्स आरोपी की लिव-इन पार्टनर के हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि पंचनामे की स्वीकार्यता ट्रायल के लिए जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस मृतक के डीएनए सैंपल पेश करने में विफल रही है. इसके अलावा, इस पर विचार करते हुए कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा नहीं होगा, कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने 24 अगस्त, 2021 को शिंदे को गिरफ्तार किया था. हालांकि, उस पर अभी तक आरोप तय नहीं हो सके हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25,000 रुपये के बेल बांड पर जमानत देने का निर्देश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
शिंदे पर आरोप है कि उसने अपनी लिव-इन पार्टनर की हत्या कर बॉडी के टुकड़े किए और फिर अलग-अलग जगहों पर उन्हें दफना दिया. यह मामला दो साल पुराना है. 8 अगस्त, 2021 को पुलिस को रोजीना पनसारे उर्फ कविता चौधरी की मिसिंग कंप्लेंट मिली थी. पुलिस ने कविता की तलाश शुरू की तो उसके लिव-इन पार्टनर हनुमंत शिंदे से भी पूछताछ की गई. इस दौरान उसने माना कि दोनों के बीच शादी को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी.
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