मुंबई: वरिष्ठ पत्रकार और अवकाश प्राप्त सैनिक के खिलाफ दायर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले को रद्द करते हुए बंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि सेना के जवान की आत्महत्या के पीछे कोर्ट मार्शल की आशंका रही होगी न कि स्टिंग वीडियो.


 2017 में की थी जवान ने आत्महत्या


नासिक के देओलाली कैंप पुलिस ने 23 मार्च 2017 को वरिष्ठ पत्रकार पूनम अग्रवाल और पूर्व सैनिक दीपचंद सिंह के खिलाफ राय मैथ्यू को आत्महत्या के लिए उकसाने का विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. इससे पहले सात फरवरी 2017 को भारतीय सेना में सहायक के तौर पर काम करने वाले मैथ्यू ने आत्महत्या कर ली थी.


पुलिस के मुताबिक, मैथ्यू को एक स्टिंग आपरेशन में दर्शाया गया था, यह स्टिंग पूनम और सिंह ने किया था, इसके बाद डर और शर्म के कारण मैथ्यू ने आत्महत्या कर ली  पूनम और सिंह ने बाद में उच्च न्यायालय का रूख किया और अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज किये जाने की मांग की थी.


कोर्ट ने 18 अप्रैल को ही खारिज कर दिया था ये मामला


न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यामूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने 18 अप्रैल को इस मामले को खारिज करते हुए कहा था कि बाद में अदालत इस बारे में विस्तृत फैसला सुनाएगी. सोमवार को उलब्ध अदालत के आदेश के अनुसार, पूनम और सिंह के खिलाफ जो शिकायत दी गयी है वह भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के प्रावधानों को लागू करने के लिए पूरी तरह अपर्याप्त और नाकाफी है.


आदेश में कहा गया है कि राय मैथ्यू ने सहायक प्रणाली पर कुछ टिप्पणी की थी और जब क्लिप वायरल हुआ तो उसके वरिष्ठ उससे जरूर पूछताछ करते. अदालत ने अपने आदेश में कहा है, ‘‘यह कोर्ट मार्शल का डर था जो जवान की आत्महत्या का कारण हो सकता है. उसने केवल कोर्ट मार्शल और इसके घातक परिणामों के डर के कारण आत्महत्या कर ली.’’


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