मुंबई: 11 साल की एक लड़की के बलात्कार के मामले में 72 साल के एक शख्स पर पॉकसो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने हाल ही में उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने देखा कि आरोपी व्यावहारिक रूप से नाबालिग के दादा की उम्र का है. अगर उसके खिलाफ आरोप साबित हो जाते हैं, तो ये 'जघन्य अपराध' होगा.
जस्टिस आरवी घुगे और जस्टिस बीयू देबद्वार की पीठ ने जलगांव जिले के चालीसगांव से आरोपी हरसिंग पाटिल ने अदालत में जमानत की याचिका दायर की थी. जिसमें उसकी रिहाई की मांग की गई और ट्रायल अदालत के आदेश को चुनौती दी गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया.
क्या है मामला
शिकायत के अनुसार, नाबालिग लड़की के माता-पिता मजदूर हैं. पहली बार 23 मई को आदमी ने नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का पहला प्रयास किया था. तब लड़की के माता-पिता घर पर नहीं थे. उसने अगले दिन भी ऐसा ही किया. 25 मई की दोपहर को लड़की को घर पर अकेला पाकर फिर से उसके घर में घुस गया. लेकिन इस बार लड़की ने चीखना शुरू कर दिया और अपनी चाची को बुलाया. इसके बाद आदमी अपने घर की ओर भाग गया.
अपीलकर्ता के एडवोकेट एजे पाटिल ने अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल 72 साल का है और वह कभी भी नाबालिग से बलात्कार जैसे अपराध नहीं करेगा. उनके मुवक्किल ने एफआईआर दर्ज करने से ठीक आठ दिन पहले किराए पर एक घर लिया था और यह संभव नहीं है कि वह पड़ोस के घर में रहने वाले नाबालिग के खिलाफ अपराध करेंगे. एडवोकेट ने कहा कि उनके मुवक्किल का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. 26 मई को गिरफ्तारी के बाद से वह जेल में हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
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