Maharashtra: बॉम्बे हाईकोर्ट के बाहर कस्टडी को लेकर ड्रामा, पिता पर हमला कर भागा बच्चा, नाना के साथ रहने की जिद
Bombay High Court में एक 11 साल का बच्चा सुनवाई के दौरान अपने पिता से दूर भागने लगा और खूब बवाल किया. कस्टडी के मामले में बच्चे ने अपने नाना के साथ रहने की जिद की.
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Bombay Boy Custody Case: बॉम्बे हाईकोर्ट में मंगलवार (28 फरवरी) को एक 11 साल के बच्चे की कस्टडी को लेकर खूब बवाल हुआ. जिस वक्त बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी उसी दौरान बच्चे ने अपने पिता से दूर भागने की कोशिश की और जोर-जोर से चिल्लाने लगा. बच्चा भागने का प्रयास कर रहा था और उस समय कोर्ट में खड़े पुलिसकर्मियों ने व्यक्ति की मदद की. 11 वर्षीय बच्चे की मां का कुछ साल पहले कैंसर के कारण निधन हो गया था. अपनी मां के निधन के बाद से वो अपने नाना और मामा के साथ रह रहा था. इसी वजह से उसके पिता ने कोर्ट के माध्यम से कस्टडी की मांग की थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी उसके पिता को दे दी थी, लेकिन बच्चे ने जाने से इनकार कर दिया था. उसके बाद पिता ने अवमानना याचिका दायर की थी, जिस पर मंगलवार को जस्टिस एएस गडकरी और पीडी नाइक की बेंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने पुलिस को आदेश दिया कि कोर्ट परिसर में ही बच्चे की कस्टडी पिता को दे दी जाए. हालांकि, बच्चा अपने पिता से दूर भागने के लिए संघर्ष कर रहा था.
'...इसलिए हम आपको चेतावनी दे रहे हैं'
पुलिस ने आखिर में बच्चे को पकड़ लिया और वापस उसे बेंच के सामने लाया गया. बच्चा कचहरी के पिछले हिस्से में अपने मामा का हाथ पकड़कर बैठा हुआ था. दादा और चाचा की ओर से पेश अधिवक्ता इमरान शेख ने अदालत को घटना की जानकारी दी. इसके बाद, बेंच ने नाराजगी जाहिर की. पीठ ने इमरान शेख से कहा, "पिछली कुछ सुनवाइयों के दौरान हम आपका व्यवहार देख रहे हैं. इसलिए हम आपको चेतावनी दे रहे हैं." कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को कहा कि लड़के को सौंपने के कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर कार्रवाई की जाएगी.
'सब कुछ आपकी इच्छा के अनुसार नहीं होगा'
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी गई थी, लेकिन लड़के ने मारपीट कर उसकी कस्टडी से भागने की कोशिश की. अदालत ने आगे निर्देश दिया कि 11 वर्षीय लड़के की कस्टडी अब कस्तूरबा मार्ग पुलिस स्टेशन में दी जाएगी. पिता की ओर से पेश वकील आकाश विजय ने अदालत से पूछा कि क्या हिरासत सौंपने का काम पिता के निवास के करीब किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "कस्तूरबा मार्ग पुलिस का प्रयास कमजोर है. क्या ये भायंदर पुलिस स्टेशन में किया जा सकता है, जो पिता के घर के करीब है?" हालांकि, अदालत ने उन्हें भी यह कहते हुए फटकार लगाई, "सब कुछ आपकी इच्छा के अनुसार नहीं होगा."
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