कंगना के दफ्तर पर हुई तोड़फोड़ मामले पर कोर्ट का BMC से सवाल, क्या अवैध निर्माण के सभी मामलों में हुई इतनी त्वरित कार्रवाई
कंगना रनौत के वकील ने कोर्ट को बताया कि कंगना की महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे कुछ लोगों के साथ मतभेद थे, क्योंकि उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों को लेकर कुछ बातें कही थीं, उसी के चलते उनको जान से मारने की धमकी भी मिली, जिसके बाद उनको सुरक्षा की मांग भी करनी पड़ी.
मुंबई: कंगना रनौत के दफ्तर पर हुई कार्रवाई के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के सवालों से बीएमसी घिर गई है. कोर्ट ने बीएमसी से जवाब मांगा कि क्या अब बाकी सभी मामलों में भी इसी तरीके से कार्रवाई की गई, जैसी कार्रवाई कंगना के दफ्तर पर की गई है. इस बीच कंगना के वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि क्योंकि कंगना का महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे लोगों से मतभेद चल रहा था, इसी वजह से बीएमसी ने इस पक्षपातपूर्ण कार्रवाई को अंजाम दिया है.
कंगना के दफ्तर पर हुए अतिक्रमण के मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट में कंगना के वकील ने दलील दी कि, क्योंकि कंगना सत्ता में बैठे लोगों से मतभेद है और उसी के चलते जिस तरह से बीएमसी ने कार्रवाई की, वह दिखाता है बीएमसी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है.
कंगना के वकील ने कोर्ट को बताया, "कंगना ने यह बिल्डिंग 2017 में खरीदी थी और 2018 में इसमें कुछ बदलाव के लिए अर्ज़ी दी थी, क्योंकि बिल्डिंग 42 साल पुरानी थी. अक्टूबर 2018 में बीएमसी ने जवाब दिया कि कंगना को स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाना होगा, किसी भी बदलाव से पहले. जिसके बाद मई 2019 में कंगना ने बीएमसी को एक बार फिर ऑडिट के बाद जानकारी दी कि ऑडिट में निकल कर आया है कि अगर बिल्डिंग में कुछ बदलाव होता है तो कोई दिक्कत नहीं है. जिसके बाद कंगना ने अनुमति लेकर बिल्डिंग में रेनोवेशन का काम करवाया. हर कदम पर कंगना ने जरूरी अनुमति ली थी. जिसके बाद इसी साल जनवरी महीने में बिल्डिंग में रेनोवेशन का काम पूरा हुआ, जिसके बाद कंगना ने अपने दफ्तर पर पूजा भी की थी."
कंगना के वकील ने कोर्ट को बताया कि कंगना की महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे कुछ लोगों के साथ मतभेद थे, क्योंकि उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों को लेकर कुछ बातें कही थीं, उसी के चलते उनको जान से मारने की धमकी भी मिली, जिसके बाद उनको सुरक्षा की मांग भी करनी पड़ी.
कंगना के वकील ने इसके साथ ही संजय राउत का भी जिक्र करते हुए कहा की शिवसेना सांसद संजय राउत ने कंगना को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं. यहां तक कि संजय राउत ने मीडिया में आकर यह बयान भी दिया कि कंगना को सबक सिखाना होगा. जिस दिन संजय राउत ने यह बयान दिया उसी दिन बीएमसी का एक अधिकारी कंगना के दफ्तर पर पहुंच गया, बिना पहले से कोई जानकारी दिए हुए. यहां तक की अधिकारी के पहुंचने का वक्त भी सवाल खड़े करता है. 8 तारीख को कंगना के दफ्तर पर नोटिस चिपका दिया गया.
हालांकि कंगना ने अपने जवाब में साफ कहा था कि दफ्तर में किसी तरह का कोई निर्माण कार्य फिलहाल नहीं चल रहा है और ना ही बीएमसी द्वारा खींची गई किसी तस्वीर में किसी तरह का निर्माण कार्य होता हुआ नजर आ रहा है. इसके बावजूद 9 सितंबर को अवैध निर्माण गिराने का आदेश जारी कर दिया गया, जिसकी कॉपी कंगना को 10 सितंबर को मिली. जैसे ही नोटिस का वक्त पूरा हुआ उससे पहले ही कथित अवैध निर्माण गिराने के लिए बीएमसी द्वारा मशीन और सामान लाया जा चुका था.
कंगना के वकीलों की ओर से उठाए गए सवालों को लेकर हाईकोर्ट ने बीएमसी के वकील से सवाल पूछा कि अगर बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर किसी तरह के अवैध निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी, तो आखिर ग्राउंड फ्लोर पर कथित अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई क्यों की गई?
कंगना के वकील की तरफ से बताया गया कि बीएमसी ने अपने नोट में कहा है कि अवैध तरीके से टॉयलेट और रसोई का निर्माण हो रहा था. सवाल ये उठता है कि जब निर्माण हुआ ही नहीं था तो आखिर बीएमसी के अधिकारी को किस आधार पर पता चल गया कि टॉयलेट और रसोई का निर्माण अवैध तरीके से होने वाला है. इतना ही नहीं बीएमसी के खुद पहले के नोट में भी इस तरीके के किसी निर्माण का कहीं कोई जिक्र नहीं था. यहां तक कि बीएमसी ने कंगना के दफ्तर पर होने वाले किसी तरह के अवैध निर्माण के दौरान इस्तेमाल होने वाले किसी सामान की बरामदगी भी नहीं दिखाई है.
कंगना के वकील ने कहा कि खुद बीएमसी भी बता रही है कि कंगना ने अपने दफ्तर में टॉयलेट का इस्तेमाल रसोई के तौर पर करना शुरू कर दिया था तो सवाल यह उठता है कि यह अवैध निर्माण कैसे हुआ. सिर्फ एक जगह का उपयोग कैसे करना है, उसमें बदलाव हुआ है, जो कि अवैध निर्माण की श्रेणी में नहीं आता. लेकिन फिर भी अगर बीएमसी को कोई आपत्ति थी तो वह हमको बता सकती थी, हम खुद उस जगह के इस्तेमाल की जगह में भी बदलाव नहीं करते.
कोर्ट ने कथित अवैध निर्माण हटाने के लिए गए अधिकारियों से पूछा कि क्या उन्होंने कोई फोटोग्राफ खींची थी? जवाब दिया गया, "हां मोबाइल में हैं." जिसके बाद कोर्ट ने मोबाइल फोन कोर्ट के सामने पेश करने को कहा. जिसके बाद कोर्ट ने सवाल पूछा कि आखिर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कितने बजे शुरू हो गई. जवाब दिया गया 10:35 पर.
इस दौरान कंगना के वकील ने कोर्ट को बताया कि घर का 80 से 85 फीसदी हिस्सा तोड़ दिया गया है. जिसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या डिमोलिशन की कार्रवाई उसी तरह से की गई जैसे कि संजय राउत चाहते थे. कोर्ट ने इसके साथ ही बीएमसी से पूछा कि क्या जो बाकी मामले हैं, बीएमसी ने अवैध निर्माण हटाने के लिए नोटिस दिया हुआ है, क्या उन मामलों में भी इसी तरीके से कार्रवाई की गई जैसे कि कंगना के दफ्तर पर की गई है?
फिलहाल अब इस मामले की आगे की सुनवाई 28 सितंबर को जारी रहेगी, जब बीएमसी के वकील को कोर्ट द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना होगा. लेकिन आज यानी शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जिस तरह से बीएमसी की रिपोर्ट और कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, वह निश्चित तौर पर इशारा कर रहे हैं कि कोर्ट फिलहाल बीएमसी के जवाब से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं है. ऐसे में बीएमसी को अगली सुनवाई के दौरान बताना होगा कि आखिर कंगना के दफ्तर पर कार्रवाई इतने आनन-फानन में क्यों हुई. क्योंकि यह तो साफ है कि बाकी मामलों में कार्रवाई इस तरह से नहीं की गई, जैसे कि कंगना के दफ्तर पर की गई.
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