Bombay High Court: हाई कोर्ट ने महिला को दिए थाईलैंड से भारत आने के निर्देश, कहा- वैवाहिक विवाद देश में लड़े जाने वाले सबसे कड़वे मामले
Bombay High Court: अदालत एक शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसने थाईलैंड में अपनी मां के साथ रहने वाले अपने 15 साल के बेटे से मिलने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
Bombay High Court Over Marital Disputes: बॉम्बे हाई कोर्ट ने वैवाहिक विवादों में बच्चों को ‘गुलाम’ या चल संपत्ति की तरह इस्तेमाल किये जाने पर गंभीर चिंता जताई है. हाई कोर्ट ने मंगलवार (11 अप्रैल) को एक महिला को अपने 15-वर्षीय बेटे के साथ थाईलैंड से भारत आने का निर्देश दिया. ये निर्देश कोर्ट ने इसलिए दिया ताकि बच्चा को अपने पिता और भाई-बहनों से मिल सके.
जस्टिस आर. डी. धानुका और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने कहा, ‘‘इस तरह के विवाद हमारे देश में 'सबसे कड़वी लड़ाई वाले मुक़दमे हैं.' बेंच ने कहा कि एक बच्चे पर माता-पिता के अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण उस बच्चे का कल्याण है.
'बच्चों को गुलाम नहीं माना जा सकता है'
अदालत एक शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने थाईलैंड में अपनी मां के साथ रहने वाले अपने 15-वर्षीय बेटे से मिलने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. अदालत ने कहा कि लड़के को अपने माता-पिता के बीच कड़वाहट भरे मुकदमे के कारण गहरा झटका लगा है और वह अपने पिता से मिलने का इच्छुक है.
बेंच ने कहा, "बच्चों को गुलाम या संपत्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है, जहां माता-पिता का अपने बच्चों के भाग्य और जीवन पर पूर्ण अधिकार हो. बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है, न कि माता-पिता के कानूनी अधिकार.’’
'थाईलैंड वापसी में कोई रुकावट पैदा न हो'
अलग रहे पति-पत्नी के दो बालिग बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा और एक बेटी है. ये दोनों अपने पिता के साथ रहते हैं. याचिका में अनुरोध किया गया है कि अदालत महिला को गर्मी की छुट्टियों में बेटे को भारत लाने का निर्देश दे. बेंच ने महिला को निर्देश दिया कि वह अपने बेटे के साथ भारत आए, ताकि वह अपने पिता और बड़े भाई-बहनों से मिल सके.
अदालत ने कहा कि पिता महिला और उनके बेटे के भारत में रहने के दौरान उनकी गिरफ्तारी या हिरासत के लिए कोई शिकायत नहीं करेगा या कोई कार्रवाई नहीं करेगा. हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित राज्य और केंद्रीय एजेंसियां यह सुनिश्चित करें कि बाद में उनकी थाईलैंड वापसी में कोई रुकावट पैदा न हो.
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