Bombay High Court: अपनी पत्नी को हनीमून पर 'सेकंड हैंड वाइफ' कहना पति को भारी पड़ गया. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (27 मार्च, 2024) को घरेलू हिंसा करने के मामले में और 'सेकंड हैंड वाइफ' कहने को लेकर निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें महिला को 3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था.
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ''दोनों शिक्षित हैं. घरेलू हिंसा उस महिला के आत्मसम्मान को प्रभावित करती है, जिसे कि 'सेकंड हैंड वाइफ' कहा गया.'' हाई कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत ने सही फैसला दिया है. हमें इसमें कोई गलती नहीं लग रही. घरेलू हिंसा 1994 से 2017 तक जारी रही. ऐसे में निचली अदालत का फैसले में कुछ भी गलत नहीं है.
क्या मामला है?
अमेरिका के नागरिक और पति ने निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. दोनों (पति और पत्नी भी अमेरिकी नागरिक) ने 1994 में शादी की थी. फिर दोनों 2005 में मुंबई में रहने लगे, लेकिन पति 2014 में अकेले अमेरिका चले गए. उन्होंने यहां 2017 में तलाक के लिए मुकदमा दायर किया. यूएस की एक कोर्ट ने 2018 में तलाक दे दिया. साल 2017 में पत्नी ने मुंबई में घेरलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराया था.
पत्नी ने क्या आरोप लगाए?
पत्नी ने आरोप लगाया था कि है कि पति ने उनके साथ हिंसी की. उन्होंने कहा कि पति ने हनीमून के दौरान अपशब्द भी बोले. इसके अलावा ये सब यूएस और भारत में चलता रहा. पत्नी ने इसके अलावा ये भी आरोप लगाया कि पति उनके चरित्र पर लगातार सवाल उठाने लगा था. इसको लेकर ही निचली कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाना था.
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