मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को तब्लीगी जमात के उन नौ सदस्यों को जमानत दे दी, जो मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान और किर्गिजस्तान के नागरिक हैं और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में रह रहे थे. इन सभी सदस्यों को वीजा शर्तों और लॉकडाउन निषेधाज्ञा के कथित उल्लंघन के मामले में 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.


इनके वकील फिरदौस मिर्जा और मीर नान अली ने अदालत से कहा कि यह समूह मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली से गढ़चिरौली पहुंचा था. वकील ने दलील दी कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण इनके पास जिले में ठहरने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.


राज्य सरकार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मामले में अभी जांच पूरी नहीं हुई है. हालांकि, जस्टिस मनीष पिताले ने कहा कि कुछ निश्चित शर्तों के साथ जमानत दी जा सकती है. अदालत ने सदस्यों को 20,000 रुपये के मुचलके पर जमानत देते हुए उन्हें चंद्रपुर में ही रहने और संबंधित थाने में लगातार हाजिरी लगाने का निर्देश दिया.


क्या है मामला


दरअसल दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में इसी साल के मार्च महीने में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम का आयोजन कराया गया था. लॉकडाउन के दौरान मौलाना साद ने विदेश से आए जमातियों और देश के जमातियों को मस्जिद में रखा था, जिसके बाद इनके जरिए देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का आरोप भी लगा था.


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