Gautam Navlakha: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक्टिविस्ट और पत्रकार गौतम नवलखा को जमानत दे दी है. उन्हें 2018 में एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार किया गया था. पीटीआई के मुताबिक हाई कोर्ट ने नवलखा को 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी है.यह दूसरा को मौका था जब नवलखा ने जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अदालत से आदेश को छह सप्ताह के लिए निलंबित करने का आग्रह किया था, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सके. हालांकि, कोर्ट ने एजेंसी को तीन हफ्ते का वक्त दिया.
विशेष अदालत ने खारिज की जमानत याचिका
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नवी मुंबई में नजरबंद करने की अनुमति दी थी. हालांकि, बाद में एनआईए की विशेष अदालत ने 5 सितंबर, 2022 को नवलखा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. स्पेशल कोर्ट ने नवलखा को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि प्रथम दृष्टया लगता है कि प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) से उनके संबंध हैं.
भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने का आरोप
एनआईने उन पर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. इसके अलावा पत्रकार पर 1 जनवरी 2018 को पुणे के युद्ध स्मारक स्थल भीमा कोरेगांव में भड़की जातीय हिंसा को भड़काने का भी आरोप है.
'कश्मीर अलगाववादी आंदोलन का किया समर्थन'
आरोप पत्र में एनआईए ने कहा कि नवलखा सीपीआई (माओवादी) के सदस्य थे और उनके पास से इससे संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले थे. एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि नवलखा ने कश्मीर अलगाववादी आंदोलन का समर्थन किया था.
एनआईए ने स्पेशल अदातलस को बताया था कि कि नवलखा फैक्ट फाइंडिग मिशन की आड़ में माओवादियों के एक्टिव शहरी कैडरों और उनके नेताओं के बीच मीटिंग तय करने में सक्रिय रूप से शामिल था.