Bombay High Court on ED: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जमकर क्लास ले ली. एक शख्स पर बेवजह मनी लॉन्ड्रिंग केस शुरू करने के कारण ED को यह फटकार पड़ी. हाई कोर्ट ने इस मामले में ED पर एक लाख जुर्माना भी ठोंक दिया.


बॉम्बे हाई कोर्ट ने ED पर बिना ठोस वजह के एक रियल एस्टेट डेवलपर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू करने के लिए जुर्माना लगाया. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को कानून के ढांचे के भीतर रहकर काम करना चाहिए.


जस्टिस मिलिंद जाधव की सिंगल बेंच ने यह जुर्माना लगाते हुए कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों को बेवजह परेशान न किया जाए.


क्या है पूरा मामला?
एक प्रॉपर्टी खरीददार ने राकेश जैन नाम के एक रियल स्टेट डेवलपर पर नियमों के उल्लंघन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. यह शिकायत विले पार्ले पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी. इसी के आधार पर ED ने राकेश जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू कर दी थी. यह मामला अगस्त 2014 का है. विशेष अदालत ने ईडी की तरफ से दायर अभियोजन पर अगस्त 2014 में नोटिस जारी किया था. अब मंगलवार (21 जनवरी) को हाई कोर्ट ने इस मामले में राकेश जैन के खिलाफ विशेष अदालत की ओर से जारी नोटिस को रद्द किया. 


जस्टिस मिलिंद जाधव ने क्या-क्या कहा?
जस्टिस जाधव ने कहा, 'यह देखा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश गुप्त रूप से रची जाती है और चुपचाप अंजाम दी जाती है. मेरे सामने अभी जो मामला है वहधन शोधन निवारण अधिनियम के कार्यान्वयन की आड़ में उत्पीड़न का एक उत्कृष्ट मामला दिखता है. इस मामले में शिकायतकर्ता के साथ-साथ ईडी की कार्रवाई साफ तौर पर दुर्भावनापूर्ण है और इसके लिए कठोर दंड लगाया जाना चाहिए. ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों को एक कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए कि उन्हें कानून के दायरे में रहना चाहिए. वे कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते और नागरिकों को इस तरह परेशान नहीं कर सकते.'


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