बंबई हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पुरुष एक से अधिक विवाह पंजीकृत करा सकते हैं, क्योंकि उनके पर्सनल लॉ में बहुविवाह की अनुमति है.


न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार कोर्ट एक मुस्लिम शख्स और उसकी तीसरी पत्नी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कपल ने उनके विवाह को पंजीकृत करने का प्राधिकारियों को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था. जस्टिस बी पी कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 15 अक्टूबर को ठाणे नगर निगम के उप विवाह पंजीकरण कार्यालय को पिछले साल फरवरी में एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा दायर उस आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया, जिसमें उसने अल्जीरिया की एक महिला के साथ अपनी तीसरी शादी को पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया है.


दंपति ने अपनी याचिका में प्राधिकारियों को मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था और दावा किया था कि उनका आवेदन इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि यह पुरुष याचिकाकर्ता की तीसरी शादी है. प्राधिकारियों ने इस आधार पर विवाह का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत विवाह की परिभाषा में सिर्फ एक ही विवाह को शामिल किया गया है, एक से अधिक विवाह को नहीं.


पीठ ने प्राधिकरण के इस इनकार को पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित करार दिया और कहा कि अधिनियम में उसे ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से रोकता हो. कोर्ट ने कहा, 'मुसलमानों के पर्सनल लॉ के तहत उन्हें एक समय में चार विवाह करने का अधिकार है. हम प्राधिकारियों की इस दलील को स्वीकार नहीं कर पा रहे कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत केवल एक विवाह पंजीकृत किया जा सकता है, यहां तक ​​कि मुस्लिम पुरुष के मामले में भी.'


बेंच ने कहा कि यदि वह प्राधिकारियों की दलील को स्वीकार कर भी ले तो इसका अर्थ यह होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, मुसलमानों के पर्सनल लॉ को नकारता है और/या उन्हें विस्थापित कर देता है. कोर्ट ने कहा, 'इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिलें कि मुसलमानों के पर्सनल लॉ को इससे बाहर रखा गया है.'कोर्ट ने कहा कि अजीब बात यह है कि इन्हीं प्राधिकारियों ने पुरुष याचिकाकर्ता के दूसरे विवाह को पंजीकृत किया था.


प्राधिकरण ने यह भी दावा किया था कि याचिकाकर्ता दंपति ने कुछ दस्तावेज जमा नहीं किए थे. इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर सभी प्रासंगिक दस्तावेज जमा कराने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार ये दस्तावेज जमा हो जाने के बाद ठाणे नगर निकाय के संबंधित प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं की व्यक्तिगत सुनवाई करेंगे और 10 दिन के भीतर विवाह पंजीकरण को मंजूरी देने या इससे इनकार करने का तर्कपूर्ण आदेश पारित करेंगे.


पीठ ने निर्देश दिया कि तब तक महिला याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. महिला के पासपोर्ट की अवधि इस साल मई में समाप्त हो गई थी.


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