Bombay High Court Decision on WhatsApp Chat: वॉट्सऐप (WhatsApp) ग्रुप पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के केस के दो आरोपियों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि आजकल लोग धर्म को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं.
जजों ने कहा कि हम यह देखने के लिए विवश हैं कि आजकल लोग अपने धर्मों को लेकर पहले से ज़्यादा संवेदनशील हो गए हैं और हर कोई यह बताना चाहता है कि उसका धर्म/ईश्वर सर्वोच्च है. क्योंकि वॉट्सऐप मैसेज एन्क्रिप्टेड होते हैं और उन्हें कोई तीसरा व्यक्ति एक्सेस नहीं कर सकता, इसलिए यह देखा जाना चाहिए कि क्या वे भारतीय दंड संहिता के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रभाव डाल सकते हैं.
'बिना सोचे-समझे न दें कोई भी प्रतिक्रिया'
कोर्ट ने आगे कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है जहां सभी को दूसरों के धर्म और जातियों का सम्मान करना चाहिए. हालांकि, लोगों को बिना सोचे-समझे कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए. जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और वृषाली जोशी की खंडपीठ ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में सेना के एक जवान और एक चिकित्सक के खिलाफ 2017 में दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया.
शिकायतकर्ता ने कही थी ये बात
पीटीआई के अनुसार, शिकायतकर्ता शाहबाज सिद्दीकी ने कहा था कि सेना के जवान प्रमोद शेंद्रे और चिकित्सक सुभाष वाघे ने एक वॉट्सऐप ग्रुप पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक संदेश पोस्ट किए थे. शिकायतकर्ता भी ग्रुप का सदस्य था.
पैगंबर मोहम्मद को लेकर की थी गलत टिप्पणी
शिकायत के अनुसार, आरोपी ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और कहा कि समुदाय के जो लोग वंदे मातरम का नारा लगाने से इनकार करते हैं, उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए. अब मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने एफआईआर और पुलिस की चार्जशीट को खारिज करते हुए कहा कि वॉट्सऐप चैट एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड थे और ग्रुप में पोस्ट किए गए संदेशों को कोई भी व्यक्ति नहीं देख सकता था जो इसका सदस्य नहीं था. जजों ने आगे कहा, "हम एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं, जहां हर किसी को दूसरे के धर्म, जाति, पंथ आदि का सम्मान करना चाहिए लेकिन साथ ही, हम यह भी कहेंगे कि अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उसका धर्म सर्वोच्च है, तो दूसरा व्यक्ति तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकता है."
दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं हुआ स्पष्ट
पीठ ने कहा कि पुलिस को यह साबित करने में सक्षम होना चाहिए कि कथित अपमान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया था. यह देखा जाना चाहिए कि वॉट्सऐप ग्रुप में की गई चैट का धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास करने का प्रभाव है या नहीं.
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