नई दिल्ली: महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सिर्फ कागजों में ‘रामराज’ नजर आता है लेकिन वास्तविक स्थिति बिल्कुल अलग है. सुरक्षा से जुड़े नियम प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो रहे हैं.


कोर्ट ने कहा कि पुलिस गश्त की बजाय सैर-सपाटा करती नजर आती है. लिहाजा राज्य के गृहविभाग के सचिव हलफनामा दायर कर बताए कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राज्य भर में क्या कदम उठाए गए हैं. अदालत ने यह पूछा है कि क्या निजी क्षेत्र में काम करनेवाली महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में सरकार ने निर्देश जारी किए है?

न्यायमूर्ति आर.एम. सावंत व न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि छेड़छाड से जुड़े मामलों पर नियंत्रण के लिए पुलिस को अधिक जागरुक व संवेदनशील बनाने की जरुरत है.


सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने आटोरिक्शा में महिला के साथ होनेवाली बदसलूकी को लेकर भी चिंता जाहिर की. खंडपीठ ने सरकार से जानना चाहा है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूर्व न्यायमूर्ति सीएस धर्माधिकारी कमेटी की सिफारिशों को अमल में लाने की दिशा में क्या किया है?