बंगला केस: HC की सख्त टिप्पणी, कहा- कंगना रनौत के मामले में नोटिस 8 तारीख को दिया और कार्रवाई 9 तारीख को हुई
अभिनेत्री कंगना रनौत ने बॉम्बे हाईकोर्ट में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है.
मुंबई: अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर (बंगला) पर डिमोलिशन कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो तथ्य कोर्ट के सामने आए हैं उसमें डिमोलिशन की कार्रवाई की सही से एंट्री नहीं की गई है जिससे कुछ तो गड़बड़ लग रहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि एक मामले में बीएमसी ने 4 तारीख को नोटिस दिया तो कार्रवाई 8 तारीख को हुई. दूसरे मामले में बीएमसी ने 5 तारीख को नोटिस दिया तो कार्रवाई 14 तारीख को हुई. लेकिन कंगना रनौत के मामले में नोटिस 8 तारीख को दिया और कार्रवाई 9 तारीख को हुई.
आज की सुनवाई हाई कोर्ट में करीब साढ़े पांच घंटे चली. कोर्ट ने संजय राउत के वकील से कहा कल आपकी बारी है. कल इस मामले की सुनवाई दोपहर 3 बजे से एक बार फिर जारी रहेगी.
अभिनेत्री कंगना रनौत ने हाई कोर्ट में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान कंगना रनौत के वकील ने कोर्ट को बताया कि वैसे भी मुंबई हाई कोर्ट ने कोरोना काल में किसी भी तरह की कार्रवाई जल्दबाजी में नहीं करने की बात कही थी लेकिन बीएमसी ने इस मामले में उस आदेश का भी उल्लंघन किया है.
वहीं बीएमसी के वकील का कहना है कि हाईकोर्ट का वह आदेश इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि हाईकोर्ट ने पहले के मामलों में और इस कार्रवाई नहीं करने को कहा था लेकिन यह मामला पहले से लंबित का नहीं था.
हाई कोर्ट की टिप्पणी
इस बीच हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे पहले कोर्ट भी कई मामलों में बीएमसी से कार्रवाई करने को कहती रही है लेकिन तब बीएमसी ने इतनी त्वरित कार्रवाई नहीं की. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने कोविड-19 माहौल में कार्रवाई नहीं करने को लेकर कोई आदेश भले ही ना दिया हो लेकिन एक उम्मीद जाहिर की थी कि बीएमसी है ऐसा नहीं करेगी लेकिन यहां पर बीएमसी ने कोर्ट की उम्मीद को नहीं माना.
कंगना के वकील ने हाइकोर्ट में दलील देते हुए कहा कि बीएमसी एक्ट में रेगुलराइजेशन की भी बात कही गई है ऐसे में जिसके खिलाफ नोटिस जारी किया गया है उसको रेगुलराइजेशन की अर्जी दायर करने का भी वक्त दिया जाना चाहिए था और जब तक रेगुलराइजेशन की अर्जी का निपटारा नहीं होता तब तक इस तरीके की डिमोलिशन की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी.
कंगना के वकील ने दलील देते हुए कहा कि कंगना के दफ्तर में जिस दौरान यह डिमोलिशन की कार्रवाई की गई उस दौरान किसी भी तरीके का निर्माण कार्य नहीं चल रहा था जबकि बीएमसी ने यही कहते हुए कार्रवाई की की अवैध निर्माण चल रहा था.
कंगना के वकील ने कहा कि अगर यह भी मान लिया जाए कि किसी भी तरह का अवैध निर्माण चल भी रहा था फिर भी नोटिस देकर जवाब देने का मौका दिया जाना चाहिए था लेकिन यहां पर तो वह मौका भी नहीं दिया गया.
कंगना के वकील सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के अलग-अलग फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि उन फैसलों में भी कहा गया है कि अगर कहीं कोई अवैध निर्माण है तो उसमें नोटिस जारी कर अवैध निर्माण करने वालों को अपना पक्ष रखने का भी मौका दिया जाना चाहिए लेकिन कंगना के मामले में उन आदेशों का भी उल्लंघन किया गया है.
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