Bombay High Court: बेटे की चाहत में रचाई दूसरी शादी, फिर पहली पत्नी के साथ रहने लगा, जानें बॉम्बे हाई कोर्ट ने दूसरी पत्नी के गुजारा भत्ता पर क्या कहा
Bombay High Court On Maintenance: मुंबई में एक व्यक्ति ने बेटे की चाहत में दो शादियां कर लीं. उसके बाद दूसरी पत्नी से अलग रहने लगा था. इस मामले में हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है.
Bombay High Court On Maintenance To 2nd Wife: बेटे की चाहत में दो शादियां करके दूसरी पत्नी से अलग रहने वाले एक शख्स को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में न्यायालय ने साफ किया है कि पत्नी का लंबी अवधि तक पति से अलग रहना, उसे गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) न देने का आधार नहीं हो सकता है. जस्टिस राजेश पाटील ने पत्नी की अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है.
इसके पहले मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2010 में पत्नी को मेंटेंस के रूप में 2300 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. पति ने मैजिस्ट्रेट के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी. पति ने दलील दी कि पत्नी लंबे समय से उससे अलग रह रही है. उसके बाद सेशन कोर्ट ने 25 जुलाई, 2019 को मैजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया था. सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील की थी जिस पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.
बेटे की चाहत में की थी दूसरी शादी
दरअसल, शख्स ने साल 1989 में दूसरी शादी की थी. महिला का आरोप है कि जब पहली शादी के कुछ साल तक लड़का नहीं हुआ तो उसने दूसरी शादी रचा ली. दूसरी पत्नी से उसे एक बेटा हो गया. कुछ वक्त बाद समझौते से पहली पत्नी भी साथ रहने लगा. सबकुछ अच्छा चल रहा था कि तभी पहली पत्नी को भी बेटा हो गया. उसके बाद दूसरी पत्नी को दूसरा बेटा हो गया. इसके बाद यहीं से पति-पत्नी में अनबन शुरू हो गई.
मामला यूं है कि दूसरी पत्नी का आरोप है कि पहली पत्नी के कहने पर उसे घर से निकाल दिया गया. बाद में भरण-पोषण के लिए भत्ता भी देने से इनकार कर दिया गया. इसके बाद महिला ने हार नहीं मानी और लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.
उस व्यक्ति ने 1989 में 'दूसरी शादी' की थी, जबकि उसकी पहली शादी कानूनी रूप से बरकरार थी. शख्स की 55 साल की दूसरी पत्नी ने कोर्ट में दावा किया कि उसके पति ने 1997 में उसे घर से निकाल दिया था. उसने शादी से पहले यह विश्वास दिलाया था कि अपनी पहली पत्नी को इसलिए तलाक दे दिया था, क्योंकि वह बेटा जन्म नहीं दे पा रही थी.
2500 रुपये देना होगा गुजारा भत्ता
न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 14 दिसंबर को पत्नी के भरण-पोषण के लिए कानूनी प्रावधानों के तहत 2,500 रुपये के मासिक भरण-पोषण का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने महिला को गुजारा भत्ता राशि बढ़ाने के लिए नई याचिका दायर करने की भी अनुमति दी है.