मुंबई: कोरोना महामारी के दौरान इससे निपटने के लिए सरकार द्वारा की गई तैयारियों के संदर्भ में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछा है. साथ ही कोर्ट ने नेताओ और एक्टर्स को आसानी से मिल रही दवाइयों को लेकर भी सवाल उठाए हैं.


बॉम्बे हाई कोर्ट ने सवाल किया कि रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनियों ने अगर सरकार के अलावा किसी और को यह दवाई नहीं दी है तो, नेता और सेलिब्रिटिज़ के पास लोगों में रेमडेसिविर बांटने के लिए यह दवा कहां से आ रही है? इस मामले की जांच होनी चाहिए.


राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा, "इस मामले की जांच होनी ही चाहिए क्योंकि ऐसे वक्त में किसी को रॉबिन हुड बनने की जरूरत नहीं है. फिलहाल राज्य में रेमडेसिविर की कोई किल्लत नहीं है." 


कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, "लोगों की मदद करने पर हमें आपत्ती नहीं है, लेकिन मदद सही माध्यम से होनी चाहीए. जिसे मदद देनी है वह सरकार के जरीए भी दे सकता है. यह बात हाई कोर्ट में तब उठी जब हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए क्या कर रही है?


इस पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने बताया कि सभी रेमडेसिविर उत्पादकों को नोटीस भेज कर पूछा गया है कि क्या वह सरकार के अलावा किसी और को भी दवाई बेच रहे हैं? इसपर सभी उत्पादक कंपनियों ने अपने जवाब में लिखा है कि वह सरकार के अलावा किसी और को रेमडेसिविर नहीं दे रहे हैं.


गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान कई बॉलीवुड अभिनेता और कई नेता अपने निजी क्षमता के मुताबिक लोगों की मदद कर रहे हैं. इस दौरान जहां लोगों को रेमडेसिविर की दवा आसानी से नहीं मिल रही थी, वहीं इन अभिनेताओं और नेताओं ने कई लोगों को रेमडेसिविर की दवा भी तत्काल उपलब्ध कराई. अब सवाल यह उठता है कि जब आम लोगों को रेमडेसिविर की दवा आसानी से नहीं मिल रही थी, तो इन नेताओं और अभिनेताओं के पास दवा कैसे उपलब्ध थी ?


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