(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bombay High Court: 'केवल शादी न होने से बाद में रेप का आरोप नहीं लगा सकते हैं', बॉम्बे हाई कोर्ट
Bombay High Court On Rape Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के खुद के बयान के मुताबिक, उसने न केवल शादी के लिए शारीरिक संबंध बनाने को मंजूदी दी थी, बल्कि वो उससे प्यार भी करती थी.
Bombay High Court On Rape Case Verdict: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि दो वयस्कों के बीच संबंध में खटास पैदा हो जाने या रिश्ते के शादी में परिणत न होने मात्र से उनमें से एक बाद में बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकता. जस्टिस भारती डांगरे (Bharati Dangre) ने 24 मार्च को दिए अपने फैसले में बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया.
गौरतलब है कि एक महिला ने उस व्यक्ति के खिलाफ उपनगरीय वर्सोवा थाने में 2016 में बलात्कार का मामला दर्ज किया था. इस मामले में फैसले की प्रति इस सप्ताह उपलब्ध हो पाई थी.
क्या कहा अदालत ने?
अदालत ने कहा है, "दो वयस्क एक साथ आते हैं और उनमें रिश्ते बनते हैं, ऐसी स्थिति में किसी को महज इसलिए कृत्य (बलात्कार) का दोषी नहीं ठहराया जा सकता कि किसी समय दोनों के संबंध ठीक नहीं चले या किसी कारण से यह शादी में परिणत नहीं हो सका."
महिला (26) ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि वह सोशल मीडिया के जरिए उस व्यक्ति से मिली थी और उसने शादी का झूठा वादा करके उससे शारीरिक संबंध बनाए. बाद में उस व्यक्ति ने बेगुनाही की दलील देते हुए मामले में आरोप मुक्त किये जाने के लिए अदालत का रुख किया. जस्टिस ने याचिकाकर्ता की अर्जी स्वीकार करते हुए इस बात का संज्ञान लिया कि दोनों आठ साल से संबंध में थे.
जस्टिस डांगरे ने कहा कि केवल इसलिए कि रिश्तों में खटास आ गयी थी, यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि हर मौके पर शारीरिक संबंध उनकी इच्छा के विरुद्ध बनाया गया था. फैसले में कहा गया कि शिकायतकर्ता के खुद के बयान के अनुसार, उसने न केवल शादी के लिए शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी, बल्कि इसलिए भी सहमति दी, क्योंकि वह (शिकायतकर्ता) उस व्यक्ति से प्यार करती थी.