Raag Makkari Ath Campus Katha: मीडिया में करियर बनाना है...एंकर बनना है...रिपोर्टर बनना है...ये सब वो ख्वाब हैं जो हर हाल सैंकड़ों बच्चे लेकर महानगरों में आते हैं. जब गांव देहात से वो आंखों में बड़े सपने लेकर शहर आता है तो उसे हर जगह बस कुचक्र दिखाई देती है. केशव पटेल की किताब 'राग मक्कारी अथ कैम्पस कथा' भी ऐसे ही एक पात्र के जीवन, उसके सपनों को और जिंदगी के तमाम अड़चनों को हमारे सामने लाती है. 


इस उपन्यास में एक ऐसे छात्र के जीवन की कहानी है जो शहर के एक बड़े नामी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेता है. जहां उसे कदम-कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. एक पात्र की कहानी पढ़ते हुए आपको लगेगा कि जैसे आपके आंखों के आगे से अनगिनत एक जैसे पात्र जीवंत हो गए हैं. वो पात्र जो टीवी मीडिया, अखबार और ग्लैमर की चकाचौंध को देखकर इसकी तरफ खींचे चले जाते हैं.


उनका एकमात्र ख्वाब करियर बनाने का होता है लेकिन जब उनका इस दुनिया की हकीकत से सामना होता है तो सभी सपने एक पल में ताश के पत्तों की तरह बिखर जाते हैं. यह उपन्यास युवा की स्वप्निल सुरमई आकांक्षा को पहचानने की और उसके राहों में कांटे बो देने वाले कारकों की पड़ताल एक यथार्थपरक दास्तान है. यह उपन्यास एक किस्सागोई है जिसमें गहराते घने अंधेरों  पार से उजालों की गठरी को उठा लाने की जद्दोजहद दिखाई देती है. 


इस उपन्यास की भाषा शैली कमाल की है. लहजा व्यंग्यात्मक और चुटीली है. इस कथा से गुजरना राग दरबारी की परम्परा को जीवंत कर देता है. यह उपन्यास शिक्षा व्यवस्था में बड़ी तेजी से उभर रहे भाई-भतीजावाद को इंगित करता है.


227 पन्नों का ये उपन्यास केशव पटेल ने लिखी है. वो मध्य प्रदेश के हैं और उनका मीडिया के क्षेत्र में एक दशक से अधिक का अनुभव है.  दुनिया भर में 25 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं. केशव अब तक तीन किताबें लिख चुके हैं. पीएचडी में न्यू मीडिया पर उन्होंने शोध किया है.


किताब आप पढ़ सकते हैं अगर कॉलेज पॉलिटिक्स में आपको दिलचस्पी है. अगर जिंदगी की चुनौतियों को कैसे हल किया जाता है इसकी समझ आपको विकसित करनी है. यह उपन्यास आपको गुदगुदाएगा, साथ ही गहरी सोच में डूबने पर मजबूर भी कर देगा, मतलब यह कि 'राग मक्कारी उजलेपन के पीछे की स्याह परतों को भी उजागर करता है. युवाओं की उम्मीदों, उनके सपनों के संसार से होते हुए हम राजनीति के कुचक्र आदि में उलझी शिक्षा व्यवस्था को भी करीब से देख पायेंगे. पुस्तक का प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने किया है.