CoWIN संचालन के प्रमुख और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि 60 साल से अधिक लोगों को बूस्टर डोज के लिए को-मॉर्बिडिटी सर्टिफिकेट (co-morbidity certificate) दिखाना होगा. उन्होंने बताया कि टीकाकरण की बाकी प्रक्रिया पहले जैसे ही रहेगी उसमें कुछ बदलाव नहीं होगा. वहीं ज्यादा जानकारी के लिए कोविन-ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉक्टर ने आगे कहा कि, जिन 60 वर्षीय लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं वो को-मॉरबिडिटी सर्टिफिकेट ले जाकर तीसरी डोज यानी कि बूस्टर डोज लगवा सकते हैं.
को-मॉरबिडिटी सर्टिफिकेट पर इनके साइन की होगी जरूरत
डॉ. आरएस शर्मा ने आगे बताया कि इस को-मॉरबिडिटी सर्टिफिकेट पर किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के साइन की जरूरत होगी जिसे अपलोड किया जा सके और लाभार्थी हार्ड कॉपी में टीकाकरण केंद्र ले जा सकें. बता दें, को-मॉरबिडिटी में 22 तरह की बीमारियां आती हैं. इनमें डायबिटीज, किडनी बीमारी, दिल की बीमारी, स्टेमसेल ट्रांसप्लांट, कैंसर जैसी बीमारियां शामिल हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, कोरोना ऐसे लोगों के लिए घातक साबित हुआ है जो पहले से ही इन बीमारियों के शिकार रहे हो.