नई दिल्ली: भारत दौरे पर आए बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के डीजी का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को बांग्लादेश में आतंकवाद नहीं फैलाने दिया जायेगा और ना ही उन्हें भारत की सीमा में घुसपैठ या फिर पलायन करने दिया जायेगा.


बीजीबी के महानिदेशक, मेजर जनरल अबुल हुसैन के मुताबिक, म्यांमार से बांग्लादेश भाग आए करीब पांच लाख रोहिंग्या मुस्लिमों का रजिस्ट्रशन अनिवार्य कर दिया है. जिससे उनकी मूवमेंट पर खासी नजर रखी जा सके और वे भारत की सीमा में दाखिल ना हो पाएं. साथ ही म्यांमार सीमा पर बीजीबी कटीली तार लगा रही है ताकि म्यांमार से होने वाली घुसपैठ को रोका जा सके.


बीजीबी के महानिदेशक आज राजधानी दिल्ली में बीएसएफ के महानिदेशक के साथ एक साझा प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. दरअसल, इन दिनों बीएसएफ और बीजीबी के महानिदेशकों की सालाना बैठक (2-7 अक्टूबर) चल रही है. ये बैठक हर साल भारत-बांग्लादेश सीमा से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए होती है. लेकिन इस बार बैठक में रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा छाया रहा. वैसे भी दोनों देशों के बीच मानवतस्करी और घुसपैठ एक बड़ी समस्या है.


दरअसल, पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं जब रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश से भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की है. ये घटनाएं त्रिपुरा में सामने आई हैं. लेकिन बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने उन्हें वापस बांग्लादेश की सीमा में धकेल दिया.


इस मौके पर बोलते हुए बीएसएफ के डीजी के के शर्मा ने बताया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर कम से कम 140 ऐसी बीओपी यानी बॉर्डर आउटपोस्ट चिंहित की गई हैं जहां से रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठ कर सकते हैं. इसलिए इन बीओपी पर अतिरिक्त निगरानी रखी जा रही है. साथ ही सीमा पर रहने वाले लोगों को रोहिंग्या मुस्लिमों की घुसपैठ को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. ताकि वे बीएसएफ को उनकी मूवमेंट और गतिविधियों की जानकारी दे सकें.


एबीपी न्यूज के इस सवाल पर की रोहिंग्या मुस्लिमों के आतंकी संगठनों से तार जुड़े पाए गए हैं, बीजीबी के महानिदेशक ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर बांग्लादेश में आतंकवाद को पैर नहीं पसारने देंगे. उन्होनें कहा कि ये बात सही है कि बांग्लादेश में आने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों में अधिकतर बच्चे, बूढ़े और महिलाएं हैं लेकिन उन सभी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. इन सभी को भी जल्द वापस म्यांमार भेज दिया जायेगा क्योंकि म्यांमार उन्हें लेने के लिए राजी हो गया है.


आपको यहां ये बता दें कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों के कथित नरसंहार के बाद बड़ी तादाद में रोहिंग्या मुस्लमानों ने वहां से पलायन कर बांग्लादेश में शरण ले ली है. बांग्लादेश के कॉक्स-बाजार सहित कई इलाकों में शरणार्थी कैंप लगाए गए हैं. लेकिन इस बीच रोहिंग्या मुस्लमानों के आतंकी संगठनों से तार भी जुड़े पाए गए हैं. यही वजह है कि भारत, बांग्लादेश और म्यांमार सहित संयुक्त राष्ट्र तक रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या से चिंतित है.