LAC पर तनाव के बीच भारत मजबूत करने जा रहा सामरिक ठिकाना, 5700 ft ऊंचाई पर नेचिफू टनल की खुदाई का काम पूरा, जानें क्या होगा फायदा
Arunachal Pradesh: बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन यानि बीआरओ ने नेचिफू-टनल (Nechiphu Tunnel) के लिए फाइनल-ब्रेक थ्रू ब्लास्ट कर सुरंग की खुदाई का काम पूरा कर लिया है.
Nechiphu Tunnel In Arunachal: चीनी सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के तवांग को असम से जोड़ने के लिए बनाई जा रही नेचिफू टनल अब जल्द बनने जा रही है. शुक्रवार को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन (Border Road Organisation) यानि बीआरओ ने फाइनल-ब्रेक थ्रू ब्लास्ट कर सुरंग की खुदाई का काम पूरा कर लिया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बीआरओ के डीजी, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने राजधानी दिल्ली से रिमोट के जरिए नेचिफू टनल के आखिरी ब्लास्ट को अंजाम दिया. बीआरओ ने टनल के ब्लास्ट की तस्वीरें भी इस मौके पर जारी की.
करीब 500 मीटर लंबी नेचिफू टनल की नींव अक्टूबर 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी थी. अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट कामेंग जिले में बनाई जा रही ये सुरंग 5700 फीट की ऊंचाई पर है और असम के बलिपारा-चारद्वार को तवांग से जुड़ती है. डी-शेप में बनी ये सिंगल-ट्यूब डबल लेन टनल है जिसमें टू-वे ट्रैफिक की आवाजाही हो सकेगी. बीआरओ ने इस टनल को इसलिए बनाया है क्योंकि नेचिफू टनल के आसपास जबरदस्त कोहरा रहता है, जिसके कारण स्थानीय गाड़ियों के अलावा सेना की गाड़ियों की आवाजाही भी यहां बेहद मुश्किल से हो पाती है.
भारत एलएसी पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा
बता दें कि चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत एलएसी पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा हुआ है. हाल ही में बीआरओ के डीजी ने भी दावा किया था कि एलएसी पर अब भारत और चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई खास अंतर नहीं है. बता दें कि 1962 के युद्ध में तवांग से बूमला तक भी कोई सड़क नहीं थी, जिसका खामियाजा भारत को हार से उठाना पड़ा था. लेकिन अब तवांग को असम के तेजपुर और गुवाहटी से जोड़ने के लिए तीन सड़कों का निर्माण-कार्य चल रहा है.
सेला टनल का काम भी चल रहा तेजी से
नेचिफू टनल के अलावा 13 हजार फीट की उंचाई पर सेला टनल का काम भी बेहद तेजी से चल रहा है. पिछले साल अक्टूबर में एबीपी न्यूज की टीम ने अरुणाचल प्रदेश में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर की कवरेज के दौरान इन दोनों ही टनल की ग्राउंड-रिपोर्टिंग की थी. सेला टनल के बनने से असम के तेजपुर से चीन सीमा से लगे तवांग तक पहुंचने में काफी तेजी आएगी. क्योंकि फिलहाल सेला-पास (दर्रे) पर गाड़ियों की स्पीड काफी कम हो जाती है. सर्दियों के मौसम में भारी बर्फ के कारण करीब तीन महीने तक सेला पास यानि दर्रा बंद हो जाता है. लेकिन टनल बनने के बाद ये रास्ता 12 महीने खुला रहेगा. इस साल यानि 2022 के मध्य तक टनल का काम पूरा होने की संभावना है. तेजपुर से तवांग तक नेशनल हाईवे-13 पर कुल दूरी करीब 340 किलोमीटर है.
नार्थ ईस्ट का होगा विकास
टनल के बनने से एलएसी पर तैनात सैनिकों की मूवमेंट भी काफी तेजी से की जा सकेगी. सुरंग निर्माण पूरा होने पर अरूणाचल प्रदेश सहित पूरे उत्तर-पूर्व राज्य क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा या फिर किसी विषम परिस्थिति में सैनिकों के रेस्कयू ऑपरेशन में भी काफी तेजी आएगी.
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