Banned: खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने कड़वे अनुभवों को किताब में पिरोया, बोले- सोशल मीडिया ट्रायल तोड़ देता है
Boria Mazumdar vs Saha Controversy: किताब के विमोचन पर खेल पत्रकार बोले- सोशल मीडिया ट्रायल तोड़ देता है. गालियों से भरे हजारों ट्वीट्स कई दिनों तक आते रहे, जो झूठ के आधार पर बुने गए थे.
![Banned: खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने कड़वे अनुभवों को किताब में पिरोया, बोले- सोशल मीडिया ट्रायल तोड़ देता है Boria Mazumdar vs Saha Controversy Social Media Trial breaks a whole man says Sports Journalist via new book Banned A social media trial Banned: खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने कड़वे अनुभवों को किताब में पिरोया, बोले- सोशल मीडिया ट्रायल तोड़ देता है](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/04/23/6b947a04d64e95d35a2e01ef0290706b1713890675930947_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Boria Mazumdar vs Saha Controversy: भारतीय क्रिकेटर रिद्धिमान साहा के साथ पनपे विवाद के बाद दो साल में पहली बार खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने अपनी नई किताब के जरिए पक्ष रखा है. मंगलवार (23 अप्रैल, 2024) को लॉन्च हुई उनकी पुस्तक 'बैन्डः ए सोशल मीडिया ट्रायल' में बताया गया कि कैसे टीम इंडिया के खिलाड़ी के आरोपों के बाद उन्हें सोशल मडिया ट्रायल से गुजरना पड़ा और खेल कवरेज पर दो साल के बैन के समय उन पर व उनके परिवार पर क्या कुछ बीता. समूचे घटनाक्रम से उनकी फैमिली पर दिमागी और जज्बाती तौर पर असर पड़ा था.
किताब के विमोचन के मौके पर बोरिया मजूमदार ने कहा, "सोशल मीडिया ट्रायल आपको तोड़ देता है. गालियों से भरे हजारों ट्वीट्स कई दिनों तक सामने आते रहे, जो कि झूठ के आधार पर एक शक्तिशाली व्यक्ति की ओर से आगे बढ़वाए जा रहे थे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस व्यक्ति ने देश के लिए और नेशनल टीम के लिए खेला है. ऑनलाइन ट्रायल ने मुझे और मेरे परिवार की अंदरूनी ताकत हर आखिरी टुकड़े को इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया. हालांकि, फिर भी यह स्थाई निशान छोड़ गया."
मैं बेटी के लिए तब अजनबी था- बोरिया मजूमदार
खेल पत्रकार के मुताबिक, "बैन झेलने के बाद मैं इस किताब के तौर पर समापन चाहता था पर इससे बेहतर कोई नहीं जानता कि कभी पूर्णविराम नहीं लगेगा. मुझे वे दो साल के मौके वापस नहीं मिलेंगे जो मैंने खो दिए या फिर वे दिन और शामें जब मैं बेटी के लिए लगभग अजनबी सा था."
किताब में पत्रकार ने नहीं लिया रिद्धिमान साहा का नाम
बोरिया मजूमदार ने इस बुक में किक्रेटर का नाम नहीं लिया है. उन्होंने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा- जिस ट्रोलिंग और अपमान से मुझे और मेरे घर वालों को गुजरना पड़ा. जो कुछ (अपशब्द) हमारे लिए कहे गए, मैं नहीं चाहता हूं कि वे किसी और के लिए इस्तेमाल हों. मैंने बदले की भावना से यह किताब नहीं लिखी है.
सोशल मीडिया ट्रोल्स पर क्या बोलीं पत्रकार की पत्नी?
यह किताब न सिर्फ घटना के बाद बोरिया मजूमदार और उनके परिवार की ओर से सहन की गई चुनौतियों का ब्योरा देती है बल्कि उनके और क्रिकेटर के बीच की पिछली बातचीत और उनके खिलाफ इस्तेमाल किए गए उनके मैसेज के पीछे के संदर्भ पर भी प्रकाश डालती है. ट्रोल्स और झेले गए कठिन समय पर खेल पत्रकार की पत्नी डॉ.शर्मिष्ठा गुप्तू ने कहा, “मैं केवल आभारी हो सकती हूं कि मेरी बेटी तब आठ साल की थी. वह तब सोशल मीडिया पर पिता का अपमान देखने के लिए 14 या 15 साल की नहीं थी. ट्रोल्स ने उस दौरान उसे या मुझे भी नहीं बख्शा था.”
क्या है पूरा मामला? समझिए
खेल पत्रकार और भारतीय क्रिकेटर से जुड़ा यह पूरा विवाद लगभग दो साल पुराना है. श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय क्रिकेटर रिद्धिमान साहा को तब टीम इंडिया में जगह नहीं मिली थी. उन्हें यह तक कह दिया गया था कि बीसीसीआई नए खिलाड़ियों में निवेश करना चाहता है. ऐसे में वह संन्यास ले सकते हैं. टीम इंडिया के ऐलान होते ही बोरिया मजूमदार ने रिद्धिमान साहा का इंटरव्यू लेना चाहा था, जिसके बाद उन्होंने दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. आरोप लगा कि इसके बाद खेल पत्रकार ने उन्हें धमकी दी थी. क्रिकेटर ने इससे जुड़े वॉट्सऐप स्क्रीनशॉट भी शेयर किए थे. मामले के तूल पकड़ने के बाद बोरिया पर दो साल का बैन (खेल कवरेज पर) लगा दिया गया था. हालांकि, बोरिया मजूमदार बोले थे कि कहानी के दो पहलू होते हैं. वॉट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट्स के साथ छेड़खानी की गई है, जिससे उनकी इज्जत और विश्वसनीयता को बड़ा नुकसान हुआ है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)