जिस उम्र में बच्चे स्कूल में पढ़ते हुए या मैदान में खेलते हुए जिंदगी की खुशियां ढूंढते हैं, उसी उम्र में एक बच्चे ने मोक्ष तलाशने का रास्ता चुना है. गुजरात के एक करोड़पति हीरा व्यापारी का 12 साल का बेटा भव्य शाह जीवन की 'भव्यता' को त्यागते हुए जैन भिक्षु बन गया है.


जैन समुदाय की परंपरा के मुताबिक उनके भिक्षु बनने से पहले शहर में एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई. भिक्षु बनने से पहले भव्य ने बताया, ''मेरे पेरेंट्स ने बताया है कि किसी को सच के लिए आगे आना आना चाहिए. ऐसा करने के लिए ही मैंने भिक्षु बनने को चुना है. मेरे माता-पिता भी इस फैसले से काफी खुश हैं.


भव्या शाह के पिता दीपेश शाह ने बताया है कि 24 मार्च को भव्य ने अपनी फेवरेट फरारी कार में आखिरी बार सवारी की. ये फरारी कार दीपेश शाह के दोस्त की थी. चार साल पहले भव्य की बहन जब 12 साल की थी तब वह भिक्षु बन गयी थीं. शाह ने बताया कि उनके बेटे के अध्यात्म का रास्ता चुनने के फैसले से पूरा परिवार काफी खुश है. वहीं भव्य को विश्वास है कि जल्द ही उसके पेरेंट्स भी भिक्षु बन जाएंगे.


शोभा यात्रा के दौरान भव्य ने ब्लू रंग की शेरवानी पहनी हुई थी. शोभा यात्रा के दौरान भव्य के लिए जिस रथ का इस्तेमाल किया गया था वह ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म 'बाहुबली' की तर्ज पर बनाया गया था. शोभा यात्रा के दौरान 300 भिक्षु और हजारों की संख्या में लोग शामिल होने पहुंचे.


दीपेश शाह ने कहा, ''मैं दिल से बहुत खुश हूं कि मेरे 3 बच्चों में से दो ने भिक्षु बनना चुना है. मेरा एक बेटा भिक्षु बनने के लिए तैयार नहीं है. हां, अगर भविष्य में ऐसा करता है तो मुझे बहुत खुशी होगी.''