ABP News C-Voter Survey: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को वोटिंग होगी जबकि 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अभी तारीखों का एलान होना बाकी है...लेकिन चुनाव प्रचार जोरों पर है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इस बार गुजरात विधानसभा का चुनाव लड़ रही है और उसने चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी है.


बीजेपी का गढ़ और पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह जिले गुजरात में बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य पार्टियों के अलावा ओवैसी की पार्टी की कितनी ताकत है. क्या गुजरात के मुस्लिम वोटर ओवैसी से प्रभावित हैं. इसे लेकर एबीपी न्यूज़ चुनावी सर्वे सी-वोटर ने के लिए गुजरात और हिमाचल दोनों राज्यों का ये साप्ताहिक सर्वे कर लोगों की राय ली., जिसमें लोगों ने चौंकाने वाली राय जाहिर की है. 


ओवैसी के बारे में लोगों की क्या है राय


सी वोटर के इस सर्वे में सवाल किया गया कि क्या ओवैसी का गुजरात के मुस्लिम वोटरों में प्रभाव है? इस सवाल के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. सर्वे में  31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां ओवैसी का गुजरात के मुस्लिम वोटरों में प्रभाव है, तो वहीं  69 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नहीं ओवैसी का गुजरात के मुस्लिम वोटरों में कोई प्रभावनहीं है.


क्या ओवैसी का गुजरात के मुस्लिम वोटरों में प्रभाव है?


स्रोत- सी वोटर


हां - 31%
हीं- 69%


ओवैसी के गुजरात चुनाव लड़ने की खास है वजह 


ओवैसी की पार्टी के प्रवक्ता ने कहा,’हम गुजरात का चुनाव जरूर लड़ेंगे. हमारी पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि हम उन सभी राज्यों में चुनाव लड़ेंगे जहां-जहां हमारी ताकत है. गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने की भी हमारे सामने कुछ खास वजहें हैं. हम जब गुजरात गए थे, तब वहां महानगरपालिका चुनाव के परिणाम हमारा मनोबल बढा़ने वाले थे. सिर्फ चार-पांच शहरों में ही हमने चुनाव लड़ा था. हमारे 26 पार्षद चुने गए थे. इसके बाद वे 11 निर्दलीय उम्मीदवार, जो अलग-अलग शहरों से आए थे, वे भी हमारी पार्टी में शामिल हो गए. हमारे गुजरात अध्यक्ष कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं. उनके नेतृत्व में हमने खूब बढ़िया काम किया है.’ इम्तियाज जलील ने यह जानकारी मराठी न्यूज चैनल एबीपी माझा से बात करते हुए दी थी.


नोट: सर्वे में हिमाचल प्रदेश के 1,397 और गुजरात के 1,216 लोगों की राय ली गई है. सर्वे के नतीजे पूरी तरह से लोगों से हुई बातचीत पर आधारित हैं. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसदी है.


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