नई दिल्ली: बीपीसीएल में सरकार के मेजॉरिटी स्टेक बेचने से कंपनी के मालिकाना हक में बदलाव होने पर उसमें छंटनी का दौर चलने की आशंका पैदा हुई है. बीपीसीएल के कर्मचारियों में यह डर भी है कि वर्किंग कल्चर एकदम बदलने से कंपनी के कई कर्मचारी बेकार हो सकते हैं. इसलिए कंपनी के वर्कर्स और ऑफिसर्स हड़ताल करने आज जंतर मंतर पर उतरे हैं.
इनमे कई दिव्यांगजन भी शामिल हुए हैं. उनका कहना है कि सबसे ज्यादा खतरा उनकी नौकरी को है. इस हड़ताल में जुड़े कुछ लोग तो बोल भी नहीं पाते और सुन भी नहीं पाते और कुछ देख नहीं पाते. लेकिन उसके बाद भी वह अपनी बात को रखने के लिए प्रदर्शन में पहुंचे हैं.
भारत पेट्रोलियम में काम कर रहीं रेखा जैन जो कि अगले साल रिटायर हो रही हैं वह भी इस प्रदर्शन में अपने साथियों को हौसला बढ़ाने आयीं. उनका कहना है कि एक साल बहुत लंबा पीरियड होता है. हम यहां पर अपने साथियों का साथ देने आए हैं. हमें नहीं पता कि निजीकरण के बाद हम 1 दिन भी कंपनी में रह पाएंगे या नहीं. हमारा सवाल है कि पिछली सरकारों में जब इसे बेचा नहीं गया तो आज इसे क्यों बेचा जा रहा है? ये प्रॉफिट अर्निंग कंपनी है. ये हमारी रोजी -रोटी है. मैनेजमेंट भी हमें प्रदर्शन करने से रोक रहा है.
बीपीसीएल की प्रस्तावित निजीकरण से अफसर भी नाराज हैं. हालांकि वह हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं. ऐसा भी बताया जा राहा हैं की उन्होंने फैसला किया है कि वह काली पट्टी बांधकर काम पर जाएंगे. सभी वर्कर्स ने इस बात की चिंता जताई है कि कंपनी की निजीकरण से उसका कैरेक्टर पूरी तरह से बदल जाएगा. कर्मचारी विजय सिंह मेहता देख नहीं सकते लेकिन फिर भी वह अपनी बात को रखने जंतर मंतर पर पहुंचे. उन्होंने भी निजीकरण पर चिंता जताते हुए कहा कि निजीकरण बंद हो. हमें डर है कि हमारी नौकरी जा सकती है.
पेट्रोल एंप्लॉई यूनियन के जनरल सेक्रेटरी ब्रज मोहन का कहना है कि हमरी सबसे पहली मांग है कि निजीकरण बंद करो. जो हमारी लांग टर्म सेटलमेंट है उसको जल्दी से जल्दी कराया जाए. इसके कारण 22,000 से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित हैं. सरकार जो भी पैसा कमा रही है वह कंपनी से कमा रही है. कर्मचारी शिव कुमार का कहना है कि प्राइवेट प्लेयर्स कम प्रॉफिटेबल फिलिंग स्टेशंस के अलावा पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों के पेट्रोल पंप को बंद कर सकते हैं, जहां लागत अधिक आती है. ऐसे में कई लोगों की जॉब जा सकती है. सभी वर्कर्स के मन में डर है. उनका कहना है कि अगर ऐसा किया जाता है तो भारी मात्रा में लोगों को निकला जा सकता है जिससे हजारों परिवार सड़क पर आ जाएंगे.
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