नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच 1 अगस्त को चीनी पीएलए सालगिरह के मौके पर होने वाली बॉर्डर पर्सनल मीटिंग इस बार नहीं हो रही है. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच 24 जुलाई को हुई सीमा कार्यतंत्र की बैठक में बनी रजामंदी के बावजूद अभी तक अगली सैन्य कमांडर स्तर वार्ता की भी कोई तारीख नहीं तय हो सकी है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना की 93वीं सालगिरह यानी पीएलए डे के मौके पर भारतीय सेना की तरफ से एक औपचारिक बधाई संदेश जरूर भेज दिया गया है. लेकिन सीमा पर होने वाली बीपीएम यानी बॉर्डर पर्सनल मीटिंग की रस्म को इस बार न आयोजित करने का फैसला किया गया है. सूत्रों के अनुसार आयोजन को टालने का फैसला दरअसल कोरोना संकट के मद्देनजर लिया गया है.
हालांकि स्वाभाविक है कि दोनों देशों के बीच चल रहे सैन्य तनाव के बीच फिलहाल किसी जश्न का न तो माहौल है न गुंजाइश. वैसे पहला मौका नहीं है जब इस साल तय तारीखों को होने वाली बीपीएम बैठक को टालने का फैसला किया गया है. दोनों देशों के बीच लद्दाख में बीते करीब तीन महीनों से चल रहे सीमा तनाव के दौरान 1 मई यानी मजदूर दिवस के मौके पर होने वाली बीपीएम बैठक भी नहीं हुई थी. महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास निर्माण और संवाद बनाने की कड़ी में एक-दूसरे के राष्ट्रीय महत्व वाले दिवसों पर बीपीएम आयोजित करने की परंपरा है.
भारत के स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और चीन के नेशनल डे (1 अक्टूबर), मई दिवस (1 मई) और पीएलए डे (1 अगस्त) जैसे मौकों पर दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देश बीपीएम आयोजित करते हैं. इसमें एलएसी के निर्धारित बीपीएम हट पर दोनों तरफ से सैन्य दस्ते एक-दूसरे के वरिष्ठ अधिकारियों की बारी-बारी से मेजबानी करते हैं. इस साल दोनों देशों के बीच पिछली बीपीएम बैठक नए साल के मौके पर हुई थी.
ठिठकी हुई है सीमा तनाव घटाने की कवायद
इस बीच भारत और चीन के बीच फिलहाल सीमा पर सैन्य तनाव घटाने और सैनिक जमावड़ा कम करने की कवायदें भी ठिठक गई हैं. सूत्रों के मुताबिक 24 जुलाई को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच सीमा मामलों पर हुई डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में बनी सहमति के बावजूद, सैन्य कमांडरों की वार्ता के लिए कोई तारीख तय नहीं हो सकी है.
विदेश मंत्रालय ने 24 जुलाई को सीमा कार्यतंत्र की बैठक के बाद जारी बयान में कहा था कि दोनों पक्ष जल्द ही वरिष्ठ कमांडरों की बैठक बुलाने पर सहमत थे जिसमें आगे के उपाय तय किए जाएंगे. ताकि सीमा पर तनाव कम करने और सैनिक जमावड़ा घटाने के लिए साथ ही शांति बहाली जल्द सुनिश्चित किए जा सकें. हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर अभी तक चीन की तरफ से तारीख और समय मुकर्रर करने को लेकर कोई जवाब नहीं आया है.
भारत अपने मोर्चों पर दृढ़ता से मौजूद है
सूत्र बताते हैं कि चीन की तरफ से सैन्य जमावड़ा कम करने में सुस्ती को लेकर भारत ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. क्योंकि पैंगोग, देपसांग समेत कई इलाकों में चीनी सैनिक अब आपसी सहमति से तय हुई हद तक पीछे नहीं हटे हैं. ऐसे में भारतीय सेना भी अपने मोर्चों पर डटी है. सूत्रों का कहना है कि भारत अपने मोर्चों पर दृढ़ता से मौजूद है और ऐसे में किसी हड़बड़ाहट की गुंजाइश नहीं है.
महत्वपूर्ण है कि चीन लगातार यह जताने और बताने में जुटा है कि उसने दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर पर बनी सहमति को लागू कर दिया है. जबकि भारतीय खेमा चीनी सेना की कार्रवाई को लेकर संतुष्ट नहीं है. इतना ही नहीं चीन ने अभी तक अप्रैल 2020 की स्थिति तक अपनी सेनाओं को पीछे लेने और सैनिक जमावड़ा कम करने को लेकर भी कोई ठोस भरोसा नहीं दिया है.
20 सैनिकों की शहादत
जानकारों के मुताबिक, भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब 90 दिन से जारी तनाव मौजूदा सूरत-ए-हाल में अगर अगले दो महीने कुछ और खिंच जाए तो अचरज नहीं होगा. गौरतलब है कि एलएसी का ताजा तनाव दोनों देशों के बीच हाल के दशकों में अब तक का सबसे लंबा सैन्य तनाव साबित हो रहा है. इस दौरान 15 जून को हुए गलवान घाटी के संघर्ष में भारत के जहां 20 सैनिकों की शहादत हुई है वहीं चीन के भी बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए.
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