सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा में कथित अनियमितताओं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई से संबंधित याचिका पर विचार करने से मंगलवार (7 जनवरी, 2025) को इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायतों के साथ पटना हाईकोर्ट का रुख करें.


याचिकाकर्ता ‘आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट’ की ओर से पेश हुए एडवोकेट ने कोर्ट से याचिका पर विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि देश ने उन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बिहार पुलिस की बर्बर कार्रवाई देखी है, जिन्होंने बीपीएससी की विवादास्पद परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'हम आपसे पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कह रहे हैं.' हालांकि, याचिकाकर्ता ने कहा, 'यह पेपर लीक एक दैनिक मामला है.'


सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, 'हम आपकी भावनाओं को समझते हैं... लेकिन हम शुरुआती अदालत नहीं हो सकते हैं और हमें लगता है कि यह (न्यायिक प्रक्रिया की दृष्टि से) उचित और त्वरित सुनवाई की दृष्टि से भी उपयुक्त होगा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं.'


याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि जिस स्थान पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था, वह पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास के पास ही था और इस पर स्वत: संज्ञान लिया जा सकता था. बिहार पुलिस ने 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को नियंत्रित करने के लिए कथित तौर पर बल प्रयोग किया.


राज्य लोक सेवा आयोग ने कुछ उम्मीदवारों के लिए पटना में 22 केंद्रों पर चार जनवरी को फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया है. पुनर्परीक्षा के लिए पात्र 12,012 उम्मीदवारों में से कुल 8,111 ने अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड किया और 5,943 ही परीक्षा में शामिल हुए. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पुनर्परीक्षा की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.


 


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