Former BrahMos scientist Nishant Agrawal Case: देश की रक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी दूसरे देशों को लीक करने के आरोप में जेल में बंद ब्रह्मोस के पूर्व वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल केस में एक बड़ी जानकारी सामने आई है. यूपी-एटीएस के जांच अधिकारी पंकज अवस्थी ने इस केस से जुड़ी जो जानकारी दी है वह हैरान करने के साथ-साथ अलर्ट करने वाली है.
पंकज अवस्थी ने अदालत को बताया कि पाकिस्तानी महिला सेजल के कहने पर निशांत अग्रवाल ने 2017 में उसकी तरफ से भेजे लिंक पर क्लिक किया. इस लिंक पर क्लिक कराने के बाद सेजल ने निशांत अग्रवाल के निजी लैपटॉप में तीन ऐप इंस्टॉल कराए. ये तीन ऐप थे क्यूव्हिस्पर, चैट टू हायर और एक्स-ट्रस्ट. ये तीनों ऐप एक मैलवेयर थे, जिन्होंने निशांत के लैपटॉप से डेटा चुराया, जिसमें गोपनीय जानकारी भी थी.
निशांत के निजी लैपटॉप में थे ब्रह्मोस से जुड़े जरूरी डॉक्युमेंट्स
जांच में दावा किया गया है कि निशांत के निजी लैपटॉप में ब्रह्मोस मिसाइल से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज पाए गए, जो BAPL के सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन था. जानकारी के अनुसार निशांत ने लिंक्ड-इन पर सेजल के साथ चैट भी की थी, जहां उसने कथित तौर पर यूके के हेस एविएशन में रिक्रूटर के रूप में उसे काम पर रखने में रुचि दिखाई थी.
इन तीन ऐप के जरिये कई को जाल में फंसाया
यूपी-एटीएस के जांच अधिकारी पंकज अवस्थी ने निशांत के मुकदमे के दौरान अपने बयान में कहा कि 'सेजल' नाम की एक पाकिस्तानी महिला ने फेसबुक के जरिये अपने पाकिस्तानी गुर्गों के साथ मिलकर यहां कई भारतीय को टारगेट किया. वह भारतीय रक्षा कर्मचारियों को ही टारगेट करती थी. पहले उनसे दोस्ती और फिर ये तीन ऐप इंस्टॉल कराके डेटा चुराती थी. उसने कुछ और स्टाफ के साथ ऐसा किया है.
कैसे हुई थी मिसाइल इंजीनियर निशांत की गिरफ्तारी
निशांत को अक्टूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के संयुक्त अभियान के जरिए गिरफ्तार किया गया था. वह BAPL के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत था, जो ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करने वाला एक इंडो-रूसी संयुक्त उद्यम है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के सैन्य औद्योगिक कंसोर्टियम (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) के बीच एक सहयोगी उद्यम है.
इसी साल मिली है आजीवान कारावास की सजा
निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान को सैन्य राज लीक करने के आरोप में सेशन कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निशांत नागपुर में मिसाइल असेंबली यूनिट में काम करता था. पुरस्कार विजेता मिसाइल इंजीनियर निशांत को सत्र न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 235 के तहत दोषी ठहराया था. उसे आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों का दोषी पाया गया था, जिसमें हथियारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी विदेशी शक्तियों को लीक करना शामिल था.
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