Delhi High Court: बीते साल 9 मार्च 2022 को भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रम्होस फायर होकर पाकिस्तान में जा गिरी थी. कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में एयरफोर्स ने दोषी पाए गए 3 अफसरों को नौकरी से निकाल दिया. उनमें से एक अफसर ने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. जिसके नोटिस पर केंद्र सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखा.
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने गुरुवार (16 मार्च) को अदालत को बताया, मिसफायर होने की वजह से पाकिस्तान के साथ युद्ध हो सकता था. यह ड्यूटी के दौरान की गई भारी लापरवाही है और एयरफोर्स इस घटना को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा, इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भी भारत को शर्मनाक स्थिति में डाल दिया था.
याचिका में बर्खास्त सैन्य अधिकारी ने रखा अपना पक्ष
टर्मिनेट किए गये एयरफोर्स के अधिकारी ने कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा, यह दुर्घटना 2403 गाइडेड वेपन्स स्क्वाड्रन की 'ए' फ्लाइट के सिमुलेशन अभ्यास के दौरान हुई. उन्होंने कहा कि घटना के दिन वह स्क्वाड्रन में एक इंजीनियरिंग अधिकारी के रूप में तैनात थे.
उन्होंने बताया उनको मिसाइल के रखरखाव का ही व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया. उनको कभी भी यह नहीं सिखाया गया कि मिसाइल कैसे चलानी है. मिसाइल के संचालन के लिए सिर्फ सीओ और प्रशिक्षण अधिकारी ही जिम्मेदार होता है. ऐसे में उन पर की गई कार्रवाई गलत है.
'दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गई कार्रवाई'
अधिकारी ने कहा, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दौरान उन पर लगाए गए आरोपों के बारे में उनको पूरी जानकारी नहीं थी. अधिकारी ने याचिका में कहा, ड्यूटी के दौरान वह अपने काम को लेकर पूरी तरह से सजग थे और उन पर की गई कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण है. अधिकारी ने अपनी याचिका में यह भी कहा, उनको मिसाइल के संचालन और उसकी आपात स्थिति से निपटने का कोई भी अनुभव नहीं है. ऐसे में अदालत उनको वापस नौकरी पर बहाल करने का आदेश देकर उनको राहत प्रदान करे.
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