Brahmos Missile: चीन और पाकिस्तान के समुद्री खतरों से निपटेगा भारत, देश के तटों पर तैनात की जाएगी ब्रह्मोस मिसाइल
Mobile Costal Missile Batteries: रक्षा मंत्रालय ने मोबाइल कोस्टल मिसाइल बैटरियों को मंजूरी दी थी और इस संबंध में 30 मार्च को ब्रह्मोस एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे.
Brahmos Missile Deployment: पूर्व नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल सतीश एन घोरमोड ने कहा है कि भारतीय नौसेना हाल ही में स्वीकृत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस मोबाइल कोस्टल बैटरी को तटीय इलाकों में तैनात किया जाएगा. इन बैटरी को समुद्री रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया जाएगा ताकि पूर्व और पश्चिम दोनों ओर के खतरों को बेअसर किया जा सके.
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने मोबाइल कोस्टल मिसाइल बैटरियों को मंजूरी दी थी और इस संबंध में 30 मार्च को ब्रह्मोस एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे. अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद एएनआई के साथ बातचीत में, घोरमाडे ने कहा, "हम अगली पीढ़ी की मोबाइल मिसाइल तटीय बैटरियों को रणनीतिक स्थानों पर तैनात करने में सक्षम होंगे ताकि पूर्व या पश्चिम से किसी भी खतरे की निगरानी की जा सके और उसे बेअसर किया जा सके.
2027 से शुरू होगी डिलीवरी
ब्रह्मोस एयरोस्पेस इनकी डिलीवरी 2027 से शुरू कर देगी. ये बैटरी दुनिया की सबसे तेज और घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस होंगी. इससे इंडियन नेवी को बहु-दिशात्मक समुद्री हमले में मदद मिलेगी. यानी नौसेना एक साथ जल, जमीन और हवा तीनों दिशाओं में हमला कर सकती है. इससे नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी.
दो वैरिएंट्स में आती है ब्रह्मोस मिसाइल
तटों पर सतह-से-सतह पर मार (Surface to Surface) करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात किया जाएगा. इसके दो वैरिएंट्स हैं. पहला ब्रह्मोस ब्लॉक-1 और दूसरा ब्रह्मोस-एनजी. यानी जमीन पर खड़े ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) से दागी जाएंगी. यह एक तरह का ट्रक होता है, जिसमें साइलो (Silo- मीनारनुमा ढांचे) बने होते हैं. इनके अंदर से ब्रह्मोस मिसाइलें निकलती है. इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है. मिसाइल की दिशा तय की जा सकती है.
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