BrahMos missile, रडार सिस्टम, आर्टिलरी गन: 70 हजार करोड़ से ज्यादा के 'देसी हथियार' बढ़ाएंगे तीनों सेनाओं की ताकत
BrahMos Missiles: रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन रक्षा सौदों में ज्यादातर भारतीय नौसेना के लिए ही किए गए हैं. पूरे रक्षा सौदे में से 56000 करोड़ की खरीद सिर्फ भारतीय नौसेना के लिए की जाने वाली है.
Indigenous Weapon System: केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने सैन्य हथियारों और अन्य साजो-सामान की 70,500 करोड़ की खरीद को मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि इस खरीद से तीनों सैन्य बलों की ताकत बढ़ेगी. इन रक्षा सौदों में अलग-अलग हथियारों के सिस्टम और कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद होगी. रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने सैन्य बलों और इंडियन कोस्ट गार्ड के लिए की जा रही ये पूरी खरीद 'बाय' (भारतीय-आईडीडीएम) कैटेगरी के तहत होगी. इसके तहत आत्मनिर्भर भारत के कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा.
इन रक्षा सौदों में ब्रह्मोस मिसाइल, शक्ति ईडब्ल्यू सिस्टमस और नौसेना के इस्तेमाल के लिए हेलीकॉप्टर के लिए 56000 करोड़ की खरीद की जाएगी. इसी के साथ लंबी दूरी की मार करने वाले हथियार, 155mm/52 कैलिबर की एडवांस टोअड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और अन्य साजो सामान की खरीद की जाएगी. रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वेस्टर्न और नॉर्दर्न फ्रंट पर नए हथियारों की जरूरत को सरकार ने महसूस किया. साथ ही ये भी बताया गया कि इनमें से 99 फीसदी हथियार भारत में ही बने होंगे.
नौसेना को क्या मिलेगा?
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन रक्षा सौदों में ज्यादातर भारतीय नौसेना के लिए ही किए गए हैं. मंत्रालय के मुताबिक, पूरे रक्षा सौदे में से 56000 करोड़ की खरीद सिर्फ भारतीय नौसेना के लिए की जाने वाली है. इसमें मुख्य रूप से भारत में ही बनी ब्रह्मोस मिसाइल, शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स, नौसेना में इस्तेमाल होने वाले हेलीकॉप्टर वगैरह की खरीद शामिल है. रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया कि ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद से नौसेना की समुद्र में हमला करने की क्षमता बढ़ेगी. वहीं, हेलीकॉप्टर की खरीद से खोज और बचाव ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी. इसी के साथ शक्ति ईडब्ल्यू सिस्टम्स के जरिये फ्रंटलाइन नौसेना के युद्धपोतों को काउंटर ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी.
वायुसेना को क्या मिलेगा?
रक्षा अधिग्रहण परिषद की ओर से रक्षा सौदों को दी गई मंजूरी के बाद भारतीय वायुसेना को लॉन्ग रेंज स्टैंडऑफ वेपन मिलेंगे. जो पूरी तरह से भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित है. इसे सुखोई Su-30MKI एयरक्राफ्ट पर लगाया जाएगा. इन हथियारों से वायुसेना को पश्चिमी और पूर्वी मोर्चे पर होने वाली हरकतों से निपटने में मदद मिलेगी.
भारतीय थल सेना को क्या मिलेगा?
भारतीय थल सेना को इस रक्षा खरीद सौदों से आर्टिलरी गन मिलेगी. अब भारतीय सेना के तरकश में धनुष और के9 वज्र गन सिस्टम के साथ ATAGS भी जुड़ जाएगा. इसके साथ ही इन्हें अलग-अलग जगहों पर पहुंचाने वाले वाहनों की खरीद को भी मंजूरी दी गई है.
इंडियन कोस्ट गार्ड को क्या मिलेगा?
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इंडियन कोस्ट गार्ड के लिए एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) MK-III की खरीद को मंजूरी दी है. ये हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) की ओर से बनाए गए हैं. इन हेलीकॉप्टर में निगरानी करने वाले सर्विलांस उपकरण और रात में भी ऑपरेशन चलाने वाले उपकरण लगे हुए हैं.