Congress Committee Meeting: हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आ चुका है. कांग्रेस इस बार चुनाव में बड़ी उम्मीद लगाए बैठी थी लेकिन जब नतीजे आए तो पंजाब भी हाथ से निकल गया. अब हर बार की तरह हार पर मंथन के लिए बड़ी बैठक होने जा रही है, लेकिन सवाल है इस मंथन से अमृत निकलेगा कब ?
दरअसल यूपी में कुल 403 सीटों पर वोटिग हुई लेकिन कांग्रेस को यहां केवल 2 सीटें ही मिल पाई. वहीं उत्तराखंड में कुल 70 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 19 सीट ही मिला. पंजाब में कुल सीट 117, कांग्रेस को मिली सिर्फ 18, गोवा में कुल सीट 40, कांग्रेस को मिली सिर्फ 11. वहीं मणिपुर में कुल 60 सीट होने के बावजूद कांग्रेस को सिर्फ 5 सीटें ही मिली.
लाजमी है इन सीटों को देखते हुए पार्टी में सिर फुटव्वल तो होना ही था और वो शुरू हो चुका है. इस मामले पर सबसे पहले शशि थरूर ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'जो भी कांग्रेस पर भरोसा रखते हैं उन्हें चुनावी नतीजों से दुख हुआ है. ये भारत के उस विचार को मज़बूत करने का समय है जिसके लिए कांग्रेस खड़ी है और देश को सकारात्मक एजेंडा देती है. ये हमारे संगठनात्मक नेतृत्व को इस तरह सुधारने का समय है जो उन विचारों में फिर से जान भर दे और लोगों को प्रेरित करे. एक बात साफ़ है- सफ़ल होने के लिए परिवर्तन अनिवार्य है.'
शशि थरूर के इस ट्वीट के बाद दिल्ली में गुलाम नबी आजाद के घर उन कांग्रेस नेताओं की बैठक भी हुई जो लंबे वक्त से पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं और जिन्हें जी-23 के नाम से जाना जाता है.
आज कांग्रेस संसदीय दल की बैठक
इस बीच सोनिया गांधी ने आज सुबह 10.30 बजे पहले कांग्रेस संसदीय दल और फिर शाम 4 बजे कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है इसमें बाकी मुद्दों के अलावा चुनावी में मिली करारी हार पर मंथन होगा. कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली कार्यसमिति की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल होंगे. दिलचस्प ये है कि इस बैठक में ‘जी-23’ के नेता भी होंगें जो नेतृत्व परिवर्तन और संगठनात्मक सुधार की मांग दोहरा सकते हैं.. तो पार्टी के भीतर से ही जी-23 के नेताओं पर भी सवाल उठ रहे हैं.
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में मायूसी
इस बीच कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने कहा, 'कांग्रेस में संगठन के चुनाव सितंबर में प्रस्तावित है लेकिन नेतृत्व को लेकर उठते सवालों के बाद ऐसा भी हो सकता है कि इसे पहले कराया जाए. ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि सिर्फ कांग्रेस का जनाधार ही नहीं खिसक रहा बल्कि कार्यकर्ताओं में मायूसी भी बढ़ रही है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि जो पार्टी 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के वक्त नौ राज्यों में सरकार चला रही थी वो अब सिर्फ दो राज्यों में ही सिमट कर रह गई है. '
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