जी20 सम्मेलन में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप-इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) के ऐलान से चीन के मेगा प्लान बीआरआई को बड़ा झटका लगा है. आईएमईसी कॉरिडोर तैयार कर एशिया, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच रेल और जहाज के जरिए कनेक्टिविटी स्थापित कर व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क तैयार किया जाएगा. चीन का बीआरआई मेगा प्लान एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क एवं समुद्र के जरिए जोड़ने पर काम कर रहा है. इस बीच, जी20 की शनिवार (9 सितंबर) को पहली बैठक में IMEC का ऐलान किया गया, जिसमें अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जोर्डन, इजरायल और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य देशों के नेताओं ने प्रोजेक्ट का एमओयू भी साइन किया.
कॉरिडोर का ऐलान ऐसे समय में किया गया, जब चीन पहले ही इस बात से परेशान है कि कहीं इटली बीआरआई से बाहर न हो जाए. घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूरोपियन कमीशन के प्रेसीडेंट उर्सुला वोन डेर लीएन और अन्य नेता भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मानवीय प्रयास और महाद्वीपों में एकता का प्रमाण बताया है. उन्होंने कहा कि सभी देशों के साथ कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना भारत की प्राथमिकता रही है. पीएम मोदी ने कहा, 'हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी का मतलब सिर्फ विभिन्न देशों के साथ व्यापार बढ़ाने से नहीं बल्कि आपसी विश्वास स्थापित करना है.' वहीं, वोन डेर लीएन ने कॉरिडोर प्रोजेक्ट को महाद्वीपों के बीच ग्रीन एंड डिजिटल ब्रिज बताया.
कॉरिडोर से क्या होगा लाभ
कॉरिडोर के जरिए अन्य एशियाई देशों को आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी और मैन्यूफेक्चरिंग, फूड सिक्योरिटी और सप्लाई चेन को बढ़ावा मिलेगा. यह कॉरिडर कई मायनों में खास है क्योंकि इसके जरिए व्यापार बढ़ाने, ऊर्जा उत्पादों जैसे हाइड्रोजन भेजने और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी. बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलवियन ने कहा कि यह बाइडेन के दूरगामी निवेश विजन को दिखाता है. सुलवियन ने कहा कि यह बुनियादी ढांचा आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, जिससे अन्य देशों को मिडिल ईस्ट में साथ लाने में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र को चुनौती संघर्ष या संकट के स्रोत के बजाय आर्थिक गतिविधि के केंद्र के रूप में देखा जाएगा.
कब तक पूरा होगा प्रोजेक्ट और आएगा कितना खर्च
व्हाइट हाउस की ओर से प्रोजेक्ट के पूरा होने को लेकर कोई टाइमलाइन नहीं दी गई है और न ही इस बात की कोई जानकारी दी गई कि इस पर कितनी राशि खर्च की जाएगी. वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 20 अरब डॉलर के खर्च की बात की है, लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या यह राशि सिर्फ सऊदी अरब की ओर से दी जाएगी.
क्या है चीन का बीआरआई मेगा प्लान
चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशियएटिव (BRI) की शुरुआत साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी. इसे सिल्क रोड भी कहा जाता है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन पूर्वी एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने पर काम कर रहा है. इस परियोजना को अफ्रीका, ओशिनिया और लैटिन अमेरिका में शुरू किया गया, जिसमें चीन के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में काफी विस्तार हुआ है. यूरोपीय बैंक के अनुसार, बीआरआई प्लान में जमीन और समुद्री रास्तों के जरिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़ना शामिल है. जमीन के रास्ते यह चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ता है और बाद में चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत, पश्चिम एशिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप से जोड़ता है.
बीआरआई से बाहर आना चाहता है इटली
इटली ने हाल ही में चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट को लेकर कहा था कि उसे चीन के अरबों डॉलर के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से कोई फायदा नहीं पहुंचा है. 5 सितंबर को इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी भी बीजिंग गए थे और प्रोजेक्ट की आलोचना की थी. जब से चीन को इस बात के संकेत मिले हैं कि इटली प्रोजेक्ट से बाहर आ सकता है, तब से वह इटली को मनाने में लगा है क्योंकि इससे उसका यह मेगा प्लान अधर में लटक सकता है. दिल्ली में जी20 सम्मेलन के दौरान भी चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात की और दोनों देशों के रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश की.
यह भी पढ़ें:
भारत का चीन को बड़ा संदेश! लद्दाख के न्योमा में बनेगा दुनिया का सबसे ऊंचा फाइटर एयरफील्ड