नई दिल्ली: ब्राजील में आयोजित हो रहे ब्रिक्स देशों के 11वें शिखर सम्मेलन पर दुनिया भर की नजर है. हो भी क्यों न ब्रिक्स में शामिल देशों की आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनैतिक और सुरक्षा शक्तियां हमेशा से ही अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्रों को प्रभावित करती रहीं हैं. भारत इस संगठन का प्रमुख देश है. इसके अलावा चीन, ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका भी इसके प्रमुख सदस्य देश हैं. अब तक इस संगठन के कुल 10 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं. 11वां सम्मेलन ब्राजील में आयोजित किया जा रहा है. जिसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील पहुंच चुके हैं. यह सम्मेलन कल समाप्त होगा.


ब्रिक्स में शामिल देशों की दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिश्त हिस्सेदारी है, साथ ही विश्व व्यापार में इन देशों की 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है.


ब्रिटिश अर्थशास्त्री की देन है ब्रिक्स:


इस संगठन का गठन वर्ष 2009 में किया गया था. 65 वर्षीय ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ-नील ने वर्ष 2001 में एक शोधपत्र लिखा जिसमें उन्होंने सबसे पहले इस संगठन के बारे में चर्चा की गई. जिम ओ-नील अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन सैच्य समूह के अध्यक्ष थे.


तब उन्होंने भारत, ब्राजील, रूस और चीन की अर्थव्यवस्था पर एक रिसर्च की. जो बाद में एक शोधपत्र के रुप में प्रकाशित हुई. जिसमें नील ने लिखा कि भारत, ब्राजील, रूस और चीन तेजी से विकास कर रहे हैं और आने वाले 50 सालों तक इन देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्थाएं, इस वक्त दुनिया के सबसे अमीर देशों की अर्थव्यवस्थाओं से बड़ी होने वाली हैं. क्योंकि इन देशों का बाजार काफी बड़ा है और तेजी से बढ़ भी रहा है.


उनके इस शोध ने दुनिया भर में काफी लोकप्रियता हासिल की, इसके बाद ब्रिक देशों को देखने का नजरिया ही बदल गया. नील ने इन चारों देशों के नाम के लिए ब्रिक शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया, जो इन देशों के नाम के प्रथम शब्द से लेकर बनाया गया है. पहले इसका नाम केवल ब्रिक था लेकिन जब दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ तो इसका नाम ब्रिक्स हो गया.


ब्रिक्स का मकसद


इस संगठन के माध्यम से ब्रिक्स समूह में शामिल देश अपनी अपनी आर्थिक, वैज्ञानिक, सुरक्षा आदि शक्तिाओं को प्राप्त करने के लिए आपसी व्यावसायिक रिश्तों को मजबूत करते हुए समृद्धि की दिशा में बढ़ने के लिए प्रयास करते हैं. सभी जानते हैं कि अमेरिकी डालर एक प्रमुख शक्तिशाली मुद्रा है और ब्रिक्स देशों का उद्देश्य है कि डालर के स्थान पर अन्य मुद्राओं का उपयोग कर उन मुद्राओं को भी विश्व स्तर पर मजबूत कर सकें. इसके साथ ही ब्रिक्स का मकसद विकासशील देशों के लिए एक विशेष व्यापार ब्लॉक तैयार करना है.


रूस में हुआ था पहला सम्मेलन


इस दिशा में 2006 में न्यूयॉर्क में ब्रिक देशों के विदेश मंत्रियों का एक अधिवेशन आयोजित किया गया जिसमें भारत, ब्राजील, रूस और चीन देश ने ब्रिक की स्थापना करने पर चर्चा की, जिसके बाद वर्ष 2009 में रूस में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया. वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका इस संगठन का हिस्सा बना.


संगठन के प्रमुख नेताओं के नाम


ब्राजील- मिशेल टेमर राष्ट्रपति
रूस- व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति
भारत- नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री
दक्षिण अफ्रीका- सिरिल रामाफोसा राष्ट्रपति
चीन- शी जिनपिंग राष्ट्रपति


कब कहां आयोजित हुए सम्मेलन:


1- प्रथम शिखर सम्मेलन 16 जून, 2009 रूस
2- दूसरा शिखर सम्मेलन 15 अप्रैल, 2010 ब्राजील
3- तीसरा शिखर सम्मेलन 14 अप्रैल, 2011 चीन
4- चौथा शिखर सम्मेलन 29 मार्च, 2012 भारत
5- पांचवा शिखर सम्मेलन 26-27 मार्च 2013 दक्षिण अफ्रीका
6- छठा शिखर सम्मेलन 14-17 जुलाई 2014 ब्राजील
7- सातवां शिखर सम्मेलन 8-9 जुलाई 2015 रूस
8- आठवां शिखर सम्मेलन 15-16 अक्टूबर 2016 भारत
9- नौंवा शिखर सम्मेलन 3-5 सितंबर 2017 चीन
10- दसवां शिखर सम्मेलन 5-27 जुलाई 2018 दक्षिण अफ्रीका
11- ग्यारहवां शिखर सम्मेलन 11 नवंबर 2019 ब्राजील


ये देश हो सकते हैं शामिल


आने वर्षों में कई देश इस संगठन में शामिल हो सकते हैं फिलहाल अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, लेबनान, इंडोनेशिया, मेक्सिको, तुर्की, मिस्र, ईरान,नाइजीरिया, सूडान, सीरिया, बांग्लादेश और ग्रीस ने भी ब्रिक्स संगठन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है.