नई दिल्ली: भारत, रूस, चीन, ब्राजील औऱ दक्षिण अफ्रीका समेत ब्रिक्स टोली के देशों ने आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. रूस की अगुवाई के बाद हुई 12वीं ब्रिक्स शिखर बैठक के बाद पांचों मुल्कों ने आतंकवाद के विरुद्ध रणनीति को जारी किया. इसके तहत सभी देश जहां आतंक की आर्थिक रसद बंद करने से लेकर इसे बढ़ावा देने वाले मुल्कों की करतूतों पर भी लगाम लगाने में सहयोग करेंगे.


बैठक के बाद जारी दस्तावेज के मुताबिक ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की रोकथाम और उसके वित्तपोषण के खिलाफ आपसी एकता बढ़ाएंगे. इतना ही नहीं आतंकवादी गतिविधियों में शामिल संगठनों, लोगों, उसे बढ़ावा देने वालों और नजरअंदाज करने वालों के खिलाफ कदम उठाएंगे. इसके अलावा आतंकवाद से मुकाबले में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों और प्रयासों को भी ब्रिक्स देश मिलकर लागू करेंगे.


ब्रिक्स बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए, और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए.


पीएम मोदी ने कहा कि हमें ख़ुशी है कि रूस की अध्यक्षता के दौरान BRICS Counter-Terrorism Strategy को अंतिम रूप दे दिया गया है. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. और भारत इस कार्य को अपनी अध्यक्षता के दौरान और आगे बढ़ाएगा. गौरतलब है कि जनवरी 2021 से ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत के पास होगी.


प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से आतंकवाद के मुद्दे पर की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह मानती है. यह हम सबके लिए एक मूलभूत सिद्धांत होना चाहिए. लेकिन हर परिवार में कुछ ऐसे बुरे लोग भी होते हैं जो अपनी मनमर्जी थोपने की जिद करते हैं. ऐसे में आतंकवाद की जिस चिंता का जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने किया उसके खिलाफ सभी मिलकर लड़ने का प्रयास करेंगे.ब्रिक्स देशों के उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रतिनिधि जहां आतंकवाद निरोधक रणनीति की समीक्षा करेंगे वहीं आतंकवाद पर बना कार्यसमूह साझा रणनीति को लागू करेगा.


अजहर मसूद जैसे आतंकी को बचाने की कवायद में कई बार ढाल बन चुका चीन भी कहने को तो इस संयुक्त प्रस्ताव में शामिल है. लेकिन ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दिए गए आरंभिक भाषण में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आतंकवाद की चुनौती का कोई उल्लेख नहीं किया. महत्वपूर्ण है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद का प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान का चीन अहम आर्थिक सरपरस्त भी है और बड़ा सैन्य मददगार भी. मगर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने के बाद भी चीन अक्सर पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक करतूतों पर आंखें मूंदता रहा है.


पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ और खास तौर पर सुरक्षा परिषद के मौजूदा कामकाज में भा व्यापक सुधार की वकालत की. मोदी ने कहा कि 70 साल पुरानी मानिसकता के साथ मौजूदा समाज की चुनौतियों का निदान नहीं किया जा सकता. ऐसे में जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र संघ समेत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कामकाज को बदले समय के अनुरूप सुधारा जाए.


उन्होंने सुरक्षा परिषद का विस्तार कर उसमें भारत को जगह दिलाने की कोशिशों में भी ब्रिक्स देशों से मदद मांगी. महत्वपूर्ण है कि रूस और चीन जैसे दो देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं जबकि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे मुल्क विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग कर रहे हैं.