प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (22 अक्टूबर, 2024) को ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस पहुंच गए हैं. रूस के कजान में 16वें ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रमुख हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. हालांकि, अभी तक दोनों के बीच द्विपक्षीय बैठक की कोई आधिकारिक पुष्टी नहीं की गई है, लेकिन सबको इसका इंतेजार है कि जब दोनों नेता एक साथ मंच पर होंगे तो वह किस तरह एक-दूसरे से मिलेंगे.


ब्रिक्स सम्मेलन के भारत और चीन दोनों के लिए ही खास मायने हैं. कई एक्सपर्ट्स का ऐसा मानना है कि गलवन में शुरू हुआ तनाव कजान में खत्म हो सकता है. गलवन घाटी में जब साल 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध हुआ तो रिश्तों में काफी तल्खी बढ़ गई. तब से जब भी इस तरह का कोई कार्यक्रम होता है तो सभी को इंतेजार रहता है कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो ताकि इस दूरी को मिटाया सके.


चार साल में इस बार ये पहली बार होगा जब दोनों नेता रिश्तों में सुधार की शुरुआत के बीच मिलने वाले हैं. सोमवार को हुए समझौते ने इस मुलाकात की अहमीयत और ज्यादा बढ़ा दी है. अभी तक दोनों नेता तनाव के बीच मिलते थे, लेकिन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर भारत और चीन के बीच जो एग्रीमेंट हुआ है, उससे रिश्तों में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है.


भारत और चीन के रिश्तों में लंबे समय से तल्खी देखी जा रही है, लेकिन सोमवार को इसमें नरमी देखने को मिली. दोनों देशों ने एलएसी पर पेट्रलिंग पॉइंट्स को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म करते हुए सहमति बना ली. एक एग्रीमेंट साइन किया गया और अब भारतीय सेना फिर से पेटोलिंग शुरू कर सकेगी. 


एक्सपर्ट्स का मानना है कि एशिया की दो महाशक्ति के प्रमुखों के बीच ब्रिक्स से इतर द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है और इसमें सीमा विवाद पर भी बात हो सकती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि गलवन में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बहुत प्रभावित किया है और उन्हें ठीक होने में समय लग सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि यह एग्रीमेंट एक नई शुरुआत जैसा होगा.


कल भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एलएसी एग्रीमेंट की घोषणा की थी. उधर, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बताया कि एलएसी पर भारत और चीन पुरानी स्थिति में आ गए हैं और चीन ने अपने सैनिकों को भी बॉर्डर से वापस बुला लिया है.


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