नई दिल्ली: डोकलाम विवाद को लेकर चीन युद्ध का माहौल बना रहा है. इस तनाव के माहौल में पीएम नरेंद्र मोदी का चीन जाना तय हो गया है. पीएम मोदी को ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के लिए सितंबर के पहले हफ्ते में चीन जाना है. चीन के ग्लोबल टाइम्स ने दो दिन पहले आरोप लगाया था कि भारत ब्रिक्स सम्मेलन में बाधा डालना चाहता है. अखबार ने डोकलाम विवाद के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया है. चीन की खूनी साजिश: तिब्बत में शिफ्ट किए गए ‘ब्लड बैंक’


डोकलाम पर चीन जब भारत को युद्ध के उन्माद में झोंकने की साजिश रच रहा है तब जापान चीन के खिलाफ ढाल बनकर भारत के पक्ष में खड़ा हो गया है. चीन ने साबित करने की कोशिश की कि चीन और भूटान के झगड़े में भारत खामख्वाह कूद पड़ा है. भारत का डोकलाम में होना नाजायज है. लेकिन जापान ने एक बयान में चीन के दुष्प्रचार की हवा निकाल दी है.



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भारत में जापान के राजदूत केनजी हिरामात्सु कहा कि हम मानते हैं कि डोकलाम भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र है और दोनों देश बातचीत कर रहे हैं. हम ये भी समझते हैं कि भारत की भूटान के साथ एक संधि है और इसी वजह से भारतीय सैनिक इलाके में मौजूद हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत समाधान खोजने के लिए चीन के साथ राजनयिकों के माध्यम से बातचीत जारी रखेगा. हम शांतिपूर्ण समाधान के प्रति इस दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण मानते हैं. पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ें

जापान का ये कहना सिर्फ भारत का समर्थन नहीं बल्कि चीन पर प्रहार है जो भारत के डोकलाम में होने की गलत तस्वीर दुनिया को दिखा रहा है. रक्षा एक्सपर्ट कह रहे हैं कि जापान का इतना कहना भी बहुत बड़ी बात है. 14 अगस्त को आजादी के समारोह में चीन के पीएम को मुख्य अतिथि बनाकर पाकिस्तान ने भी साफ कर दिया कि वो चीन के साथ है. चीन नॉर्थ कोरिया वाले किम जोंग को भी अपना दोस्त मान रहा है. लाइबेरिया, सूडान जैसे छोटू जैसों को भी चीन अपने साथ मान रहा है. चीन कई देशों के राजदूतों को बुला बुलाकर डोकलाम विवाद पर भारत के खिलाफ भड़काऩे की कोशिश कर चुका है. चीन के पास पाकिस्तान है तो भारत के साथ अमेरिका, रूस, जापान जैसी महाशक्तियां.